लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के नामांकन का समय खत्म हो गया है। यूपी में पहले चरण में आठ सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होगी। नगीना को छोड़कर सभी सीटों पर इंडिया गठबंधन, भाजपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। नगीना में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद के भी मैदान में उतरने से यहां मुकाबला चतुष्कोणीय और रोचक हो गया है। इस बीच यूपी में 20 से ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दावा करने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने इंडिया गठबंधन को वाकओवर देते हुए किसी सीट पर नामांकन दाखिल नहीं किया है। ऐसे में जहां इंडिया गठबंधन और अखिलेश यादव की मुश्किलें कम हुईं हैं वहीं एक चुनौती भी मिल गई है।
AIMIM के प्रदेश प्रवक्ता सैयद असीम वकार ने कहा कि हम मैदान में नहीं हैं। हम पर मुस्लिमों का वोट काटने और भाजपा को जीताने का आरोप लगता है। अब इंडिया गठबंधन सभी सीटें जीत कर दिखाए। हालांकि AIMIM के मैदान में नहीं आने से जहां इंडिया गठबंधन की कुछ मुश्किलें कम हुई हैं तो मायावती ने बढ़ाई भी है। पहले चरण में जिन आठ सीटों पर चुनाव होने जा रहा है उनमें से चार सीटों पर मायावती ने मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।
पहले चरण में यूपी की सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फऱनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में वोटिंग होंगी। ओवैसी की पार्टी की तरफ से दावा किया गया था कि यूपी की 20 मुस्लिम बाहुल्य लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली गई है। आजमगढ़ से खुद प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली को उतारने का भी दावा किया गया था। बताया गया था कि एआईएमआईएम संभल, मुरादाबाद, मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, फिरोजाबाद, बुलंदशहर, कैराना, अलीगढ़, नगीना, रामपुर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, बहराइच की लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी।
इन सीटों में से सहारनपुर, कैराना, मुरादाबाद, बिजनौर, नगीना, रामपुर में बुधवार को नामांकन का समय भी खत्म हो गया लेकिन पार्टी की तरफ से किसी प्रत्याशी ने नामांकन नहीं दाखिल किया है। जबकि पिछले चुनाव में भी इन सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने चुनाव लड़ा था। नगर निकाय चुनाव में भी पहली बार एआईएमआईएम को कई जगहों पर सफलता मिली थी। इसके बाद भी प्रत्याशी नहीं उतारने को कई नजिरए से देखा जा रहा है। इस फैसले को ओवैसी की नई रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है।
यह भी कहा जा रहा है कि तेलंगाना और खासकर हैदराबाद में भाजपा लगातार ओवैसी और उनकी पार्टी को घेर रही है। अपना इलाका बचाने के लिए ही ओवैसी ने इंडिया गठबंधन को वाकओवर देने का फैसला किया है। उनकी मंशा इसी तरह का वाकओवर इंडिया गठबंधन की तरफ से अपने लिए भी वह लेना चाहते हैं।
ओवैसी पहले इंडिया गठबंधन का हिस्सा होना चाहते थे लेकिन कई चुनावों में उनके ही कारण विपक्षी दलों को मिली हार के कारण बात नहीं बन सकी थी। इसका बड़ा उदाहरण बिहार का पिछला विधानसभा चुनाव भी है। यहां भाजपा-जदयू के मुकाबले राजद-कांग्रेस का महागठबंधन कुछ ही सीटों से पीछे रह गया था। इसमें बड़ा कारण ओवैसी की पार्टी का चुनाव लड़ना भी था। ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटें जीतने के साथ ही कई सीटों पर महागठबंधन को चोट पहुंचाई थी।
अब भले ही ओवैसी ने यूपी चुनाव से दूरी बना कर इंडिया गठबंधन को राहत दी है लेकिन मायावती के कारण सपा-कांग्रेस को अब भी कई सीटों पर खतरा नजर आ रहा है। पहले चरण की आठ सीटों में से चार सहारनपुर, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में मायावती ने मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। सहारनपुर में माजिद अली, मुरादाबाद में इरफान सैफी, रामपुर में जीशान खां और पीलीभीत में अनील अहमद खां फूल बाबू को उतारा है।