Worshiping Lord Narasimha and be Protected from Tantra Mantra: होली रंगों का त्योहार है. रंग हमारे जीवन में खुशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस साल आज यानी 24 मार्च रविवार के दिन होलिका दहन होगा. होली असत्य पर सत्य की जीत के साथ-साथ एक भक्त की उसके ईष्ट देव के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति को भी दर्शाती है. वहीं इसके उलट दुष्ट प्रकृति के मनुष्य इस समय विभिन्न तंत्र, मंत्र, यंत्र, जादू-टोना इत्यादि खूब करते हैं. क्योंकि इस समय सभी ग्रह उग्र रहते हैं, तो वटकर्म जैसे – मारण, मोहन, सतम्भन, उच्चाइन, विदुषण, वशीकरण बहुत आसानी से तथा तीव्रता के साथ किया जा सकता है. ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं दस महाविद्या गुरु, मृगेन्द्र चौधरी ने News18 Hindi को बताया कि कैसे भगवान नरसिंहा की पूजा कर आप खुद और अपने परिवार को इन तंत्र-मंत्र से बचा सकते हैं.
क्या है होलाअष्टक
राक्षस राज हिरण्य कश्यप, जो स्वंय को भगवान समझता था, अपने विष्णु भक्त पुत्र प्रहलाद्ध को घोर यातनाएं देकर डराकर, धमकाकर अपने अधीन करना चाहता था. उसने प्रहलाद को आठ दिन घोर यातनाएं दीं. इसी अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. यह फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक माना जाता है. इसका अंत होलिका दहन के साथ हो जाता है. यह समय बहुत उग्र तथा नकारात्मक उर्जा से भरा रहता है. इसलिये मान्यताओं के अनुसार इस समय की भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
इस शुभ मुहूर्त में होगा होलिका दहन.
होलिका दहन 2024 का समय (Timing of Holika Dahan)
इस वर्ष 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11:13 बजे से लेकर 12:27 मिनट तक रहेगा. ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा.
ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं दस महाविद्या गुरु, मृगेन्द्र चौधरी News18 Hindi को बताया कि अगर आप अपना, अपने परिवार और सम्पत्ति का किसी भी प्रकार का अहित रोकना चाहते हैं और शत्रुओं से परेशान हैं तो कुछ खास बातों का ध्यान रखें.
- होलाष्टक में कोई भी मांगलिक कार्य न करें जैसे- विवाह, गृह प्रवेश, मुण्डन, दुकान खोलना इत्यादि.
- होलाष्टक में किसी से किसी भी प्रकार का उपहार का दान न करें. यह सीधा आपके ग्रहों को प्रभावित करेगा.
- किसी से खाने-पीने की चीजें ना लें, ना ही बाहर का कुछ खायें.
- होलाष्टक में काली वस्तुएं जैसे-काले वस्त्र, काले तिल इत्यादि का दान न करें न ही काले और लाल रंग के वस्त्र पहनें.
- भगवान विष्णु के मंदिर में पीले वस्त्र, बेसन के लड्डू तुलसी के पत्ते, कमल के फूल और मक्खन नियमित तौर पर अर्पित करें.
- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से धन और यश प्राप्त होगा.
अगर आप तंत्र, मंत्र, यंत्र बाधा, जादू टोना, गृहक्लेश, कोर्ट केस बीमारी, कर्ज इत्यादि से परेशान हैं तो होलाष्टक में भगवान्न नरसिंह की पूजा आपको विशेष फल देगी.
ज्योतिषी, वास्तु विशेषज्ञ एवं दस महाविद्या गुरु, मृगेन्द्र चौधरी ने बताया कि भगवान नरसिंहा की पूजा कर आप खुद और अपने परिवार को इन तंत्र-मंत्र से बचा सकते हैं.
कैसे करें भगवान नरसिंह की आराधना
1. भगवान नरसिंह की प्रतिमा या चित्र को घर की दक्षिण दिशा में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. भगवान नरसिंह का मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए.
2. देशी घी की अखण्ड- ज्योति जलाकर, धूप, अगरबत्ती जला लें.
3. संकल्प लेकर भगवान नरसिंह की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें.
4. उन्हें नैवेध में बेसन के लड्डू, बेसन का हलवा अर्पित करके केला, नारियल और शहद भी अर्पित करें.
5. नरसिंह बीज मंत्र “क्ष्रौं” का आठ दिनों में एक लाख पच्चीस हजार जप करें. इसके उपरान्त दशांश हवन इसी बीज मंत्र से शहद और कमल के फूल से करें. इसके बाद 12 ब्राहम्णों को भोजन कराकर दक्षिणा दे कर संतुष्ट करें और आर्शीवाद लें.
इस प्रकार पूर्णतः श्रद्धा और भक्ति सहित यह पूजा अनुष्ठान करने पर भगवान नरसिंह आपको, आपके परिवार और आपकी सम्पति की उसी प्रकार रक्षा करेंगे जिस प्रकार उन्होनें अग्नि में होलिका की गोद में बैठे भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी. यहां होलिका समस्था और अग्नि उस समस्या से उत्पन्न भंयकर पीड़ा को दर्शाती है जिससे आप परेशान है.
संकल्प लेकर भगवान नरसिंह की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें.
अगर आपकी भक्ति और श्रद्धा प्रहलाद की तरह अटूट, सत्य पर आधारित और निष्पाप है तो भगवान नरसिंह आपकी सभी स्थानों पर सभी दिशाओं में रक्षा करेंगे. सभी तंत्र, मंत्र, यंत्र बाधाएं षटकर्म प्रयोग, भूत प्रेत, पिशाच इत्यादि नाष्ट हो जाएंगे, शत्रु भयभीत रहेगें और आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेंगे. होलिका दहन के बाद यदि आप नरसिंह भक्त है तो उक्त प्रतिमा या चित्र को अपने घर के मंदिर में रख ले और नियमित पूजा करें या आप बाकी सामग्री के साथ जल प्रवाह कर हैं.
नोट- विशेष परिस्थितियों में बीज मंत्र जप से पहले नरसिह कवच का बारह की संख्या में आठ दिन पाठ करने से लाभ कई गुणा ज्यादा मिलता है.
.
Tags: Astrology, Holi, Holi celebration
FIRST PUBLISHED : March 24, 2024, 11:03 IST