रिपोर्ट- कृष्णा कुमार गौड़
जोधपुर. 20 मार्च को फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी है. इसे आमलकी यानी आंवला एकादशी भी कहते हैं. फाल्गुन महीने में आने के कारण ये हिंदी कैलेंडर की आखिरी एकादशी होती है. इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा के साथ ही आंवला दान करने का भी विधान है. पंडित कहते हैं मान्यताओं के मुताबिक इससे कई यज्ञों का फल मिलता है.
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं. वो कहते हैं 20 मार्च को आंवला एकादशी है. यानी इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ को भी खासतौर पूजा जाएगा तभी ये एकादशी व्रत पूरा माना जाता है. आंवले के पेड़ को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है. इस दिन आंवला खाने से बीमारियां खत्म होती हैं. एकादशी पर किए गए व्रत-उपवास और पूजन से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और सफलता मिलती है.
शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि आमलकी एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन रवि योग के साथ अतिगण्ड और पुष्य नक्षत्र बन रहा है. सुबह 06:25 मिनट से रवि योग शुरू होगा, जो रात 10:38 मिनट पर समाप्त होगा. इसके साथ ही अतिगण्ड योग सुबह से शाम 05:01 मिनट तक और पुष्य नक्षत्र रात 10:38 मिनट तक है.
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रंगभरी और आमलकी एकादशी
होली से चार दिन पहले आने से इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन से बनारस में बाबा विश्वनाथ को होली खिलाकर इस पर्व की शुरुआत की जाती है. ब्रह्मांड पुराण के मुताबिक इस दिन आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. इस दिन शुभ ग्रह योगों के प्रभाव से व्रत और पूजा का पुण्य और बढ़ जाएगा.
तिल, गंगाजल और आंवले से नहाने की परंपरा
डा. अनीष व्यास के मुताबिक इस एकादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल की सात बूंद, एक चुटकी तिल और एक आंवला डालकर उस जल से नहाना चाहिए. इसे पवित्र या तीर्थ स्नान कहा जाता है.
सूर्यास्त के बाद जलाएं दीपक
डा. अनीष व्यास ने बताया विष्णु जी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल खासतौर पर किया जाता है. मान्यता है तुलसी के पत्तों के बिना विष्णु जी भोग स्वीकार नहीं करते हैं. एकादशी विष्णु जी की तिथि है, लेकिन इस दिन विष्णु प्रिया तुलसी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए. सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं.
जानें पूजा की विधि
डा. अनीष व्यास ने बताया सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें. भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. दीपक जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें. पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करें. आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल और अक्षत से पूजन कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए.
(Disclaimer : इस लेख में बताए विधान और विचार ज्योतिषाचार्य के हैं. न्यूज 18 सिर्फ इस खबर को आप तक पहुंचा रहा है. सही गलत या इसे मानना या न मानना आपके विवेक पर निर्भर है.)
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 20:57 IST