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लोकसभा चुनाव के मुरादाबाद मंडल में पहले चरण से एनडीए और आईएनडीआईए का इम्तहान होगा। भाजपा-रालोद और सपा-कांग्रेस गठबंधन को अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। पहले चरण से ही दोनों गठबंधनों में सियासी दंगल से अगले चरणों के मुकाबलों के संकेत मिलने लगेंगे। पहले चरण के मतदान के लिए 20 मार्च से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी, लेकिन अभी सियासी दलों की ओर से कई सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है।
लोस चुनाव का बिगुल बज गया है। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को वोट पड़ेंगे। प्रदेश की आठ सीटों पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे, इनमें मुरादाबाद मंडल की चार सीटें शामिल हैं। भाजपा-रालोद और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच पहले चरण से ही सियासी घमासान शुरू हो जाएगा। भाजपा मुरादाबाद को छोड़कर चार और गठबंधन में रालोद एक सीट पर प्रत्याशी तय चुका है, लेकिन सपा-कांग्रेस में प्रत्याशियों को लेकर स्थिति साफ नहीं है। बिजनौर और नगीना में सपा अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है, मुरादाबाद, संभल और रामपुर में सपा तथा अमरोहा में कांग्रेस को अपने पत्ते खोलने हैं।
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पिछले दो लोकसभा चुनाव की तुलना करें तो इस बार चुनाव नए सियासी दौर की पटकथा लिखेगा। दरअसल 2014 में भाजपा ने मंडल में सभी छह सीटों पर भगवा फहराया था, जबकि 2019 में सपा-बसपा के चुनावी गठबंधन के आगे भाजपा पिछड़ गई थी, लेकिन इस बार सियासी दोस्तों की तस्वीरें जुदा है। प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठबंधन चुनाव मैदान में है। मंडल में सपा पांच और एक सीट पर कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगी। इसी तरह भाजपा और रालोद के बीच सियासी गठबंधन है। भाजपा ने भी रालोद को बिजनौर सीट दी है। नए सियासी दोस्तों के साथ सपा-कांग्रेस गठबंधन की इस बार कड़ी परीक्षा होगी।
भाजपा-रालोद को भी कड़े इम्तिहान से गुजरना होगा। वह पिछले चुनाव में मंडल की सभी सीटें हार गई थी। सपा के लिए बसपा गठबंधन के साथ जीती सभी छह सीटों को फिर से बरकरार रखने की चुनौती होगी। सपा को अपने कोटे की तीनों सीटें मुरादाबाद, रामपुर और संभल को बचाए रखने के साथ ही बसपा कोटे की अमरोहा, नगीना और बिजनौर को अपनी झोली में डालने के लिए मशक्कत करनी होगी।