म्योरपुर (प्रभात मिश्रा)
– कोयला यूनियन नेताओं ने खोली उद्योगों की पोल
– रोजगार, स्वास्थ्य और हवा पानी को लेकर हुई चर्चा
म्योरपुर। स्थानीय ब्लॉक के गोविंदपुर स्थित बनवासी सेवा आश्रम के विचित्रा सभा कक्ष में जस्ट ट्रांजिशन रिसर्च सेंटर, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर ने मंगलवार को बनवासी सेवा आश्रम के सहयोग से जस्ट ट्रांजिशन डायलॉग्स उत्तर प्रदेश कोयला क्षेत्रों में आर्थिक विविधिकरण के लिए युवाओं को सशक्त बनाने और रोजगार, स्वास्थ्य, जीवन शैली को लेकर एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया।आश्रम की सचिव शुभा प्रेम ने कहा कि दूरदृष्टि को ध्यान में रखते हुए आईआईटी कानपुर जो कार्य कर रहा है वह बहुत ही सराहनीय है।सोनभद्र में धूल गर्दे में जीवन जीना काफी कठिन है साथ ही लीगल जमीनी कागज न होने के वजह से विस्थापित भी नही हो सकते साथ ही पढ़ाई लिखाई, स्वास्थ्य और पीने की पानी जैसी काफी विकट समस्या है जिसका निवारण बहुत जरूरी है।उप प्रभागीय वनाधिकारी भानेंद्र सिंह ने कहा की रेणुकूट वन प्रभाग अंतर्गत 142185 हेक्टेयर भूमि आती है जिसमे से 16 हजार हेक्टेयर भूमि विभिन्न विभागों को दे दी गई है।कहा कि वनों को केवल सीधे तौर पर फल,लकड़ी दवा, छाल के प्रयोग के लिए ही देखते है। वनों का सीधा लाभ लोकल ग्रामीणों को मिलना चाहिए अगर ग्रामीण वृक्षों का समुचित प्रयोग करे तो विभिन्न प्रकार के समान और खिलौने बनाकर रोजगार का सृजन किया जा सकता है।फासिल्स फ्यूल से लोगो की अर्निंग बढ़ सकती है। हिंडाल्को जनसेवा ट्रस्ट के राजेश सिंह ने कार्यकर्मों की जानकारी दी।श्याम किशोर जायसवाल ने कहा की रिहंद कचरे का डब्बा बन गया है।जिससे पीने का पानी जहरीला होता जा रहा है साथ ही कहा की सीएसआर फंड से पीने का जल दिल्ली माडल पर सोनभद्र और सिंगरौली में सप्लाई किया जाए तो लोगो को विमारियो से निजात मिल जायेगा।विमल सिंह ने कहा की जल संरक्षण की विशेष आवश्यकता है।ऐसी योजना लानी चाहिए जिससे की बेरोजगारी मिटे न की रोजगार छीन जाए।लालबहादुर ने कहा की प्रदूषण की वजह से शहद और ककुन का उत्पादन घटा है जो की बहुत बड़ी समस्या है।साथ ही जैविक खेती को भी वायु प्रदूषण का खतरा हो गया है।पुष्पेंद्र चौधरी, अभय यादव,मनोज कुमार,अशोक पांडे अजय कुमार मनोज आर के चौबे आदि एनसीएल ट्रेड यूनियन के नेताओं ने उद्योगों की पोल खोलते हुए बताया की स्थानीय युवाओं और विस्थापितों को रोजगार देने के बजाय बाहरी लोगो को रोजगार दिया जा रहा है। मांग उठाई की स्थानीय लोगो को 60 फीसदी रोजगार सृजन कराया जाए।अनेक वक्ताओं ने क्षेत्र में स्वास्थ्य और प्रदूषण की समस्या पर बात रखी।और स्थिति को भयावह बताया सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के अशोक और रामेश्वर ने टाक्सिलागिकल लैब के निर्माण का मुदा उठाया।इसके बाद एक एक करके विभिन्न जगहों से आए प्रतिनिधियों ने रिसर्च सेंटर आई आई टी कानपुर के डा पुनर्भा दास गुप्ता,डॉक्टरेट स्कॉलर मयूराक्षी आचार्य रिसर्च एसोसिएट रूपम रॉय, शिवांगी सेठ, विमल सिंह, काशीराम ठाकुर, दिनेश जायसवाल, डॉ विभा, लालबहादुर, पुस्पेंद्र चौधरी, अशोक कुमार पांडेय, मनोज कुमार सिंह, अजय यादव, अंकुश डूबे, अशोक सिंह, आनंद गुप्ता, राज नारायण गिरी समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।