डाला (गुड्डू तिवारी/राकेश अग्रहरि)
डाला। लोकआस्था के छठ महापर्व पर रविवार को शाम होते ही स्थानीय नगर समेत ग्रामीण क्षेत्रों के छठ घाटों पर रविवार को व्रती महिलाओं ने घुटने भर पानी में खड़े होकर डूबते भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया।सोमवार को सुबह उगते सूर्य देवता को जल दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाएगा।छठ पर्व पर शाम होते ही बाड़ी स्थित सोन नदी छठ घाट समेत नगर के काली मंदिर, कुरदहवां नाला, डाला चढ़ाई, कोलान बस्ती, व ग्रामीण क्षेत्र कोटा, गुरमुरा में नदियाें, पोखरों और तालाबों के छठ घाटों पर महिला श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा।बाड़ी स्थित सोन नदी घाट पर समाज कल्याण राज्य मंत्री संजीव सिंह गोंड़ ने अपनी पत्नी चोपन ब्लाक प्रमुख लीला सिंह गोड़ साथ पहुंचे जंहा ब्लाक प्रमुख श्रीमती गोड़ ने भी व्रती महिलाओं के संग घुटने भर पानी में खड़े होकर डूबते भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया।इसके पूर्व पूजन के लिए बनाई गई प्रत्येक वेदियों पर 101 नारीयल व धूपबत्ती राज्यमंत्री मंत्री द्वारा रखा गया।विविध प्रकार के पकवान बनाकर उसे एक बड़े पात्र में रखकर निर्जला व्रत रहने वाली महिलाएं स्नानादि और श्रृंगार कर परिवार के लोगों के साथ छठ घाटों पर पहुंची।दीप प्रज्वलित कर छठ मईया की पूजा की गई दीप भगवान भास्कर को अर्पित किया गया।यह सब करने के बाद महिलाएं नदी, तालाब और पोखरों में कमर भर पानी में जाकर खड़ी हो गईं। भगवान भास्कर के डूबने पर उन्हें अर्घ्य दिया।इसके बाद जंहा अधिक संख्या में व्रती महिलाएं परिवार के सदस्यों के साथ घाट पर रुक गई वंही और महिलाएं घर लौट आईं। सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह व्रत पूरा हो जाएगा।सुरक्षा व्यवस्था में चौकी प्रभारी संजय कुमार सिंह मय पुलिस फोर्स चक्रमण करते रहे।इस दौरान व्यवस्थापक टाटा चौधरी, विशाल कुमार, अमीत मिश्रा, मनीष तिवारी, विष्णु तिवारी आदि लोग मौजूद रहे।
छठ घाट पर रात्रि में होगा देवी जागरण
सूबे के समाज कल्याण राज्यमंत्री ने कहा कि छठ घाट पर रहने वाली व्रती महिलाओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसका पूरा इंतजाम किया गया है सुरक्षा घेरा के साथ साथ रात्रि जागरण के लिए देवी जागरण का भी कार्यक्रम होना सुनिश्चित हुआ है।
कुरदहवां नाला छठ घाट पर व्रती महिलाओं को हुई परेशानी
एक सप्ताह पूर्व छठ घाट की मरम्मत करते समय वंहा पहले से बनी सीढ़ी को जमींदोज कर दिया गया।नई मिट्टी का फैलाव होने के कारण वहां लोगों को बेदी बनाने में दिक्कत हुई।वहीं पानी के अंदर जाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।