ओबरा (पीडी राय/सौरभ गोस्वामी)
– नन्हे मुन्ने ने रामलीला का किया मंचन, मनमोहक प्रस्तुति ने मोहा मन
ओबरा। चोपन रोड स्थित हेलो स्कूल आफ एक्सीलेंस के नन्हे मुन्ने ने विद्यालय में असत्य पर सत्य का विजय का त्यौहार शनिवार को सेलिब्रेट किया।इस अवसर पर विभिन्न प्रकार के आयोजन किये गये।बच्चो ने मैया यशोदा तेरा कन्हैया पनघट पर पकडे है बहिया तंग मुझे करता है संग मुझसे लडता है तेर कन्हैया पर मनमोहक नृत्य पीहू अग्रवाल, शौम्या शुक्ला, रिया सोनी, अराध्या शुक्ला, अलफिजा ने प्रस्तुत कर लोगो का मन मोह लिया।इसी क्रम में सपने में रात में आया मुरली वाला री मेरे दिल में बस गयो श्याम जपो माला री की प्रस्तुति ने लोगो को मंत्रमुग्घ कर दिया।दुर्गा व मर्यादा भगवान पुरूषोत्म राम के बारे में बच्चो को विस्तार से बताया गया।रामलीला के मंचन में शनि यादव रावण, रिया सोनी दुर्गा, युवराज हनुमान, सौम्या सीता अराध्या राम व अलफिजा लक्षमण का किरदार निभाया।शिक्षिका बाबी राय, अलका अग्रवाल, सादिया, लुबना व पूनम गुप्ता ने बच्चो को बताया कि भगवान राम ने दषहरा के दिन ही रावण का वध किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है।दशहरा वर्ष की तीन अत्यंत शुभ तिथियों में से एक है।इसी दिन लोग नया कार्य प्रारंभ करते हैं, इस दिन शस्त्र-पूजा, वाहन पूजा की जाती है।प्रधानाचार्य नाहिद खान ने बताया कि प्राचीन काल में राजा इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों को छोड़ने की प्रेरणा हमें देता है।रावण भगवान राम की पत्नी देवी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया।इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है।राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है।माँ दुर्गा की शक्ति का वर्णन करते हुये बताया कि एक बार जब देवगण असुरो के अत्याचारो से तंग आ चुके थे तब ब्रह्मा जी ने बताया कि दैत्यराज को यह वर मिला है कि उसकी मौत कुमारी कन्या से होगी।तब सभी देवताओ को एक तरकीब सूझी उन्होने मिलकर अपनी अपनी शक्तियो से 18 भुजाओ को धारण करने वाली मा दुर्गा को प्रकट किया।मा को तेज देखकर दैत्यराज डर गया।मां ने अपने शस्त्रो से दैत्यराज का वध कर दिया तभी से माता को दुर्गा के नाम से पुकारा जाने लगा।महोत्सव का संचालन प्रबन्धक शमशाद आलम ने किया।