डाला (गुड्डू तिवारी/राकेश अग्रहरि)
डाला। स्थानीय नगर स्थित श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के 56वें स्थापना दिवस पर चल रहे पांच दिवसीय मानस कथा के चौथे दिन बरेली से पधारे कथा वाचक ऋषि व्यास पंडित उमाशंकर महाराज ने श्री रामचरितमानस के उत्तरकांड का प्रसंग सुनाया प्रसंग सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।इसके पूर्व विश्व हिन्दू परिषद के धर्म प्रसार प्रमुख नरसिंह त्रिपाठी व विहिप जिलाध्यक्ष विद्याशंकर पांडेय ने कथावाचक को माला पहनाकर स्वागत किया।
उन्होंने बताया की गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में काकभुशुण्डि जी का बड़ा सुंदर वर्णन किया है।शास्त्रों में काकभुशुण्डि परमज्ञानी और रामभक्त बताए गए हैं।
श्रीराम और रावण के युद्ध में जब रावण पुत्र मेघनाद ने श्रीराम को नागपाश से बांध दिया था तब गरूड़ जी को संदेह हो गया नारद मुनि के कहने पर गरुड़जी ने श्रीराम को नाागपाश के बंधन से मुक्त करवाया था।श्रीराम के इस तरह नागपाश में बंध जाने से गरुड़जी को उनके अवतारी होने पर संदेह हो गया था।तब उनका संदेह दूर करने के लिए नारदजी ने उनको ब्रह्मा जी के पास भेजा।ब्रह्मा जी ने उनको महादेव के पास भेज दिया।महादेव ने गरुड़ के संदेह को दूर करने के लिए उनको काकभुशुण्डि जी के पास भेज दिया।अंत में काकभुशुण्डि ने श्रीराम का चरित्र गरुड़जी को सुनाकर उनका संदेह दूर किया।इस अवसर पर मंदिर के महंत पं मुरली तिवारी, पं ओमप्रकाश तिवारी, चंद्र प्रकाश तिवारी, सजावल पाठक, रतनलाल शर्मा, रविन्द्र पांडेय, गिरीश तिवारी, रिशु जायसवाल, मुकेश जैन आदि लोग मौजूद रहे।