चोपन (मनोज चौबे)
चोपन। बरसात का मौसम खत्म होते ही बंद पड़े और नये बालू साइडों को खोलने की पहल शुरू हो चुकी है।जिला सोनभद्र खनन के मामले में अव्वल होने की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहता है।खनन शुरू होते ही पूर्वांचल की मंडी में रौनक आ जाती है तो वही स्थानीय लोगों को खनन से रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाते है।हालांकि बालू खनन के लिए कुछ मानक होते है और पर्यावरण का भी विशेष ध्यान देना होता है।इसी सिलसिले में क्षेत्रीय कार्यालय उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण सोनभद्र की इकाई ने भगवा में खुल रहे नए साइड को लेकर जनता के बीच लोक सुनाई की गई।जिसमे जनता की समस्या को सुना गया और उनकी बातों पर गौर करके उसको दूर करने की बात संबंधित अधिकारियों ने कही।गांव वालों को सबसे बड़ी समस्या ट्रकों को बेढंग तरिके से खड़ा करने के कारण होती है।जिससे आये दिन जाम की समस्या से रहवासियों को दो चार होना पड़ता है।जो विवाद का कारण बनता है।तेज़ गति वाहन और लगातार वाहन से गिरते पानी से रोड पर खीचड़ हो जाता है।जिस वजह से दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।नदी में लगातार मशीनें चलने और नावों के द्वारा बालू निकालने से जलीय जीव जंतु की समाप्ति पर भी लोक सुनवाई में बात रखी गई।वही लोक सुनवाई के दौरान मौके पर मौजूद नमामि गंगे एडीएम आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि बालू निकालने के लिए भगवा साइड पर लीज हुई है उसी क्रम में एनजीटी के दिशा निर्देश पर लोक सुनवाई रखी गई है।जो प्रस्तावित खनन है स्थानीय स्तर पर प्रदूषण को लेकर क्या प्रभाव पड़ता, सामाजिक संरचना पर क्या प्रभाव पड़ता है सारी चीजों पर पब्लिक में ओपन हियरिंग होती है। अगर किसी प्रकार का फीडबैक मिलता है या खनन से दुष्प्रभाव पड़ रहा है।उस चीजों को संकलित करके ऊपर के विभागों के अधिकारियों को भेजा जाता हैं।नमामि गंगे एडीएम आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि, लोगों से राय लेकर जिस तरह के सुझाव आते हैं, जिस तरह की बातें आती हैं उनको भेजा जाता है।अगर खनन में किसी नियम का पालन नहीं करते हैं खननकर्ता तो जुर्माना के भागी हो जाते हैं।जो भी खनन होल्डर है वो नियम कानून से ही काम करें।जो व्यवस्थाएं दी गई है या जो टर्म कंडीशन विभाग की तरफ से बनाये गए है उनका पालन साइट पर हो। एनजीटी द्वारा जुर्माना लगाने की बाबत एडीएम ने कहा कि, समय-समय पर जिले के अधिकारियों द्वारा निर्देशित करते रहे खनन को लेकर तो जुर्माना लगाने की कंडीशन एनटीटी के पास जाएगा ही नहीं। मशीनों के उपयोग के बारे में उन्होंने कहा कि, पानी में खनन का कोई नियम ही नहीं है।नदी के किनारे से कितना छोड़कर मशीनों से खनन करना है ये नियमावली में है।रही बात खनन से रोजगार उप्लब्ध होने की तो डायरेक्ट इनडाइरेक्ट रूप से रोजगार तो क्षेत्र में उपलब्ध होता ही है।