ओबरा (पीडी राय/राकेश अग्रहरि)
ओबरा। खनन क्षेत्र की खस्ता हालत को देखते हुए चिंता तो पहले से जगजाहिर है।लेकिन खनन क्षेत्र की प्रगति के साथ नीतियों की अस्पष्टता ने खनन व्यवसाइयों को चिंता में डाल दिया है।ऐसे में अब खनन व्यवसाइयों को कभी काफी शक्तिशाली रहे डाला बिल्ली क्रशर ओनर्स एसोसिएशन की याद आने लगी है।पिछले कई वर्षों से सुप्त अवस्था में पड़े एसोसिएशन को पुनः जिन्दा करने के लिए व्यवसायी सक्रिय हुए हैं।गुरुवार को एसोसिएशन की कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है।लगभग एक दशक से एसोसिएशन का वार्षिक चुनाव नहीं हुआ है।वही आगामी 16 जुलाई से लेकर 20 जुलाई तक अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष आदि पदों पर आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने की सम्भावना है।गुरुवार को कई वर्षों बाद एकत्रित हुए खनन व्यवसायियों ने एकजुटता का निर्णय लिया है।पिछले 9 वर्षों में दूसरी बार खुले एसोसिएशन के कार्यालय पर एकत्रित हुए व्यवसायियों ने कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर व्यवसाय को बचाने का संकल्प लिया है।इससे पहले 14 सितम्बर 2019 को पत्थर उद्योग बचाओ के तत्वाधान में एसोसिएशन का कार्यालय खुला था।तब हुयी बैठक में एकजुटता में कमी को खनन क्षेत्र की बर्बादी का बड़ा कारण माना गया था।उक्त बैठक में तमाम व्यवसाइयों ने उनके साथ हुए सरकारी उत्पीड़न के दौरान सहयोग नही मिलने की बात कही थी।बहरहाल कई वर्षों बाद हो रहे कार्यकारिणी के चुनाव से अनियमितता का शिकार हो रहे खनन क्षेत्र की बात शासन तक ठोस तरह से पहुँच सकेगी।