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साल 1975 की ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ के हर किरदार को काफी पसंद किया गया था. भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे महान फिल्म शोले को लोग आज भी नहीं भूल पाए थे. खासतौर पर गब्बर का किरदार. बहुत कम लोग जानते हैं …और पढ़ें
हाइलाइट्स
- गब्बर का किरदार असली डाकू से प्रेरित था.
- अमजद खान ने गब्बर के रोल में इतिहास रचा.
- गब्बर सिंह का खौफ 50 के दशक में था.
नई दिल्ली. साल 1975 में सिनेमाघरों में तहलका मचाने वाली फिल्म ‘शोले’ ने उस दौर में कई रिकॉर्ड बनाए थे. रमेश सिप्पी की क्लॉसिकल हिट फिल्म ने कमाई के मामले में भी बॉक्स ऑफिस को हिला कर रख दिया था. आज तक लोगों को इस फिल्म के हर एक किरदार के नाम तक याद हैं. लेकिन गब्बर का किरदार तो लोगों के जहन में बस गया.
इस ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म के हर किरदार ने दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी थी. इस ब्लॉकबस्टर फिल्म के लिए अमिताभ बच्चन मेकर्स की पहली पसंद नहीं थे बल्कि वह तो उनकी जगह इंडस्ट्री के एक जाने माने सितारे शत्रुघ्न सिन्हा को कास्ट करना चाहते थे. लेकिन बात नहीं बनी और फिल्म अमिताभ के हिस्से आई. ऐसा ही किस्सा फिल्म के डाकू गब्बक की कास्ट से भी जुड़ा है.
गब्बर बनकर रचा था इतिहास
शोले में गब्बर सिंह के किरदार को अमजद खान ने अमर कर दिया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली में था डाकू गब्बर सिंह कौन था. गब्बर सिंह के किरदार की गिनती सबसे खूंखार विलेन में होती है. ये रोल असली डाकू गब्बर सिंह के किरदार पर आधारित था. 15 अगस्त 1975 के दिन रिलीज हुई ये फिल्म बॉलीवुड के लिए एक टर्निंग प्वाइंट साबित हुई थी. गब्बर के रोल में तो अमजद खान ने इतिहास रच दिया था.
किससे इंस्पायर्ड था गब्बर का किरदार
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट की माने तो 50 के दशक में गबरा नाम का असली डाकू था. इस डाकू का उस दौर में ऐसा आतंद था कि हर कोई इसके नाम से थर थर कांपता था. मध्य प्रदेश के भिंड के डांग गांव में 1926 में जन्में गब्बर सिंह की तलाश तीन राज्यों की पुलिस को थी. फिल्म की तरह ही उस पर भी 50 हजार रुपए का इनाम था. गब्बर सिंह ने अपनी कुलदेवी के आगे प्रण लिया था कि वह 116 लोगों की नाक काटकर उनकी भेंट चढ़ाएगा. इसमें कई पुलिसवालों के भी उसने नाक कान काट दिए थे.
डायरी में बताए हैं ये किस्से
50 के दशक में मध्य प्रदेश में पुलिस महानिरीक्षक रहे के.एफ. रुस्तमजी ने अपनी डायरी में गब्बर सिंह की सच्चाई का खुलासा किया है. उनकी डायरी के मुताबिक भिंड, ग्वालियर, चंबल, इटावा और ढोलपुर के इलाके में गब्बर सिंह का बड़ा खौफ था. गांववाले तो इस बारे में कभी पुलिस को कोई जानकारी नहीं देती थी कि गब्बर कहा हैं. साल 1959 में तत्कालीन डिप्टी एस.पी राजेंद्र प्रसाद मोदी को गब्बर सिंह और उसके गैंग को खत्म करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी. साल 1959 में एक गांव वाले ने गब्बर के ठिकाने की खबर देकर उनका खात्मा कराया था.’
बता दें कि इस अनोखे किरदार को फिल्म में जोड़ने का काम ना तो फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने किया था, ना ही फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर सलीम-जावेद ने किया था. शोले फिल्म की सफलता में डाकू गब्बर सिंह का खास योगदान था, उसी पर आधारित फिल्म में ये किरदार जोड़ा गया था.
New Delhi,Delhi
January 29, 2025, 08:01 IST