लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल की तरह राजधानी लखनऊ में भी डेढ़ सौ साल पुराना मंदिर मिला है. इस मंदिर पर 30 साल पहले अवैध निर्माण कर कांप्लेक्स बना दिया गया था. आपको बता दें कि राजधानी लखनऊ के हुसैनगंज इलाके में सन् 1885 में एक मंदिर का निर्माण कराया गया था. यह मंदिर स्वर्गीय गजराज सिंह ने अपने खर्चे से अपनी जमीन पर बनवाया था. इस मंदिर के पूजा-पाठ की जिम्मेदारी द्वारका प्रसाद दीक्षित को सौंप दी गई थी. इसके बाद उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर में पूजा- पाठ करता रहा.
इसके बाद सन् 1993 में डॉ. शाहिद ने इस मंदिर पर कब्जा कर लिया. 30 वर्ष पहले इस मंदिर पर एक परिसर का निर्माण कर दिया गया जिससे यह मंदिर कांप्लेक्स के बेसमेंट में चला गया. तब से यहां पूजा- पाठ बंद हो गया. इस मंदिर के मुख्य पुजारी रामकृष्ण दीक्षित ने इस परिसर के अवैध निर्माण के विरोध में लंबी लड़ाई लड़ी.
रामकृष्ण दीक्षित ने यह मामला लोगों तक पहुंचाने का अथक प्रयास किया. 30 वर्ष पहले रामकृष्ण दीक्षित ने मंदिर पर हो रहे कांप्लेक्स के इस अवैध निर्माण के खिलाफ तत्कालीन सीओ और प्रशासन को इसकी जानकारी दी लेकिन यह अवैध निर्माण नहीं रुका. इसके परिणाम स्वरुप यह कांप्लेक्स बनकर तैयार हो गया. इस शॉपिंग कांप्लेक्स में दुकानें बनवा दी गई. इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आया जब ब्राह्मण संसद और मीता दास गजराज सिंह सहित मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने लखनऊ की कमिश्नर रोशन जैकब से मुलाकात कर मामले की जानकारी दी.
लखनऊ की कमिश्नर रोशन जैकब ने तुरंत लखनऊ के जिलाधिकारी को यह मामला प्रेषित कर दिया. वर्तमान समय में मंदिर की स्थिति कुछ यूं है कि यहां पर दुकानदार सिगरेट पीकर मंदिर परिसर के अंदर फेंक देते हैं. इस मामले में कांप्लेक्स के मालिक सैयद हुसैन ने अपनी सफाई में कहा कि यह मंदिर पर कब्जे के आरोप निराधार हैं.
FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 23:37 IST