मिर्जापुर: यूपी में मिर्जापुर के चुनार के गुलाबी पत्थरों की डिमांड देशभर में है. यहां के बलुआ गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल कई धरोहरों के निर्माण में हुआ है. अयोध्या राम मंदिर हो या फिर काशी कॉरिडोर हो. इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल उसके सृजन में किया गया है .
बलुआ गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल न सिर्फ भवनों के निर्माण में होता है. बल्कि इन पत्थरों से भव्य मूर्तियां भी तैयार की जाती हैं. जहां कारीगर अपने जौहर से पत्थर को मूर्तियों का रुप देते हैं. जहां इनकी डिमांड देश के अलग-अलग प्रांतों में हैं. ऑर्डर के अनुसार मूर्तियों को तैयार करके सप्लाई की जाती है.
गुलाबी पत्थर के कारोबारी रघुनाथ बिंद ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि चुनार के गुलाबी पत्थरों का इस्तेमाल कई पार्क सहित अयोध्या, काशी व विंध्य कॉरिडोर के निर्माण में हुआ है. भवनों के निर्माण के साथ ही मूर्तियों को बनाने में भी किया जाता है. इस पर महीन नक्कासी आसानी से हो जाती है. भगवान के साथ ही महापुरुषों और सजावटी मूर्तियां तैयार की जाती हैं. इनकी डिमांड सबसे ज्यादा है. ऑर्डर के अनुसार मूर्तियों को कारीगर तैयार करते हैं. जहां 5 से 50 हजार तक की कीमती मूर्तियां तैयार होती हैं.
चुनार में ही मिलता है यह पत्थर
रामविलास बिंद ने बताया कि गुलाबी बलुआ पत्थर देश में सिर्फ चुनार क्षेत्र में मिलता है. अन्य जगहों पर लाल पत्थर जरूर मिलते हैं, लेकिन बलुआ लाल पत्थर यहीं पर उपलब्ध है. इसलिए पत्थर का दाम अन्य पत्थरों की अपेक्षा अधिक होता है. इसकी डिमांड हमेशा रहती है और काम भी हमेशा उपलब्ध रहता है.
चट्टान को देते हैं मूर्ति का रूप
कुशीनगर के रहने वाले कारीगर हर्षित दुबे ने बताया कि उन्होंने मूर्तियों पर नक्कासी करने का तरीका सारनाथ वाराणसी में सीखा था. यहां पर चट्टान लाकर देते हैं और हम लोग नक्कासी करते हैं. चाहे भगवान का रूप देना हो या नंदी का रूप देना हो. हम लोग हाथ से ही औजार की मदद से रूप देते हैं. यहां ऑर्डर के अनुरूप मूर्तियों को तैयार किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 06:52 IST