सीबीएसई के दसवीं के परीक्षा परिणामों में 97 छात्र-छात्राएं तो ऐसे हैं जो पहले, दूसरे, तीसरे स्थान पर रहे हैं और इन बच्चों ने 500 में से क्रमशः 499, 498 और 497 अंक हासिल किए हैं. 90% से ज़्यादा अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या भी हज़ारों में होगी. दसवीं-बारहवीं के ऐसे छात्र-छात्राओं के पास विकल्प ही विकल्प हैं लेकिन जिनके नंबर कम हैं क्या उनके पास भी कोई विकल्प हैं? शिक्षाविद् और एजुकेशनल काउंसिलर डॉक्टर सुशील राणा एनसीईआरटी के काउंसिलर्स में से एक हैं. वह कहते हैं कि अगर किसी बच्चे के 50% नंबर भी आते हैं तो उसके लिए अपार संभावनाएं हैं. यह तो बच्चों या उनके माता-पिता ने यह मान लिया है कि वह डॉक्टर, इंजीनियर ही बनेंगे जबकि इनके अलावा बहुत शानदार विकल्प मौजूद हैं.
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एक नज़र ऐसे विकल्पों पर…
Humanities पढ़िए, अफ़सर बनिए: अगर आपके 90% नंबर नहीं आते तो ज़्यादा से ज़्यादा यही होगा कि आपको साइंस, मैथ्स नहीं मिलेगा बाकी तो सभी विषय आप ले सकते हैं. आप ह्यूमन साइकोलॉजी पढ़िए, आप हिस्ट्री पढ़िए, आप जियोगरफ़ी पढ़िए, आप इंग्लिश पढ़िए, आप इकोनॉमिक्स पढ़िए- इनसे अच्छे सब्जेक्ट्स कोई नहीं हैं. यूपीएससी, पीसीएस और एलाइड सर्विस की परीक्षाओं में ये विषय सबसे ज़्यादा सफलता दिलवाने वाले हैं.
90% सफलता की गारंटी नहीं: 90 फ़ीसदी से ज़्यादा अंक लाने का अर्थ यह नहीं है कि जो आप चाहते हैं वह हो ही जाएगा. नीट और IIT-JEE में सभी सफल नहीं होते और IIT-JEE तो दुनिया के मुश्किल इम्तेहानों में से एक है. यानि कि बहुत सारे बच्चों को भी विकल्प तलाश करने पड़ते हैं.
सोशल साइंस में है ज़बरदस्त स्कोप: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस मुंबई के अलावा 20 और इंस्टीट्यूट खोलने जा रहा है. विकिसित देशों की तरह भारत में भी सोशल साइंस का स्कोप बढ़ रहा है और टाटा इंस्टीट्यूट के अलावा भी बहुत से विश्वविद्यालय सोशल साइंस में कोर्स करवा रहे हैं. जिसके बाद आसानी से किसी अच्छे एनजीओ में अच्छी नौकरी मिल जाती है.
विदेशी भाषा सीखिए: दून विश्वविद्यालय विदेशी भाषाओं में कोर्स करवा रहा है. स्पेनिश, जर्मन, चाइनीज़ करने के बाद अंबेसी में तो दुभाषिए की ज़रूरत पड़ती ही है दिल्ली-एनसीआर के अच्छे स्कूलों में विदेशी भाषा के टीचर्स की भी ज़रूरत रहती है जिन्हें अच्छी तनख्वाह मिलती है और अच्छा करियर होता है.
वकील बनिए, पैसा भी और रुतबा भी कमाइए: पहले के समय में लॉ करने वालों को बहुत अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता था लेकिन अब यह बदल गया है. लेजिस्लेटिव सर्विसिस में भारत में बहुत स्कोप है. कॉर्पोरेट लॉयर के रूप में काम करके आप अच्छी तनख्वाह और रुतबा दोनों हासिल कर सकते हैं. इसके लिए ज़रूरी नहीं कि क्लैट ही क्लियर करें, सीधे कॉलेजों में भी एडमिशन मिल सकता है. देहरादून में प्रेमनगर में स्थित लॉ कॉलेज यहां के बच्चों के लिए अच्छा विकल्प है.
एंट्रेंस एग्ज़ाम दीजिए, एडमिशन पाइए: दून विश्वविद्यालय, जेएनयू जैसे बहुत से ऐसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय हैं जहां 50 या 60 फ़ीसदी नंबर के बाद आप एंट्रेंस एग्ज़ाम में बैठ सकते हैं और उसमें पास होने के बाद अपने मनचाहे विषय पढ़ सकते हैं.
साइंस पढ़नी है तो स्कूल देगा एडमिशन: अगर आपके 50-60% नंबर हैं और आप साइंस पढ़ना चाहते हैं तो जिस स्कूल से आपने 10वीं पास की है उसे आपको एडमिशन देना होगा. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि कोई स्कूल अपने ही छात्र को कम नंबर का हवाला देकर उसके मनचाहे विषय को पढ़ने से नहीं रोक सकता. अगर स्कूल इनकार करे तो आप अदालत की शरण ले सकते हैं.
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Tags: CBSE 10th Class Result, CBSE board results, Uttarakhand news, देहरादून
FIRST PUBLISHED : May 6, 2019, 20:17 IST