हर लड़की और महिला को हर महीने पीरियड्स का दर्द सहन करना पड़ता है. ऐसे में अगर ब्लोटिंग, गैस, कब्ज, लूज मोशन हो जाए तो समस्या दोगुनी बढ़ जाती है. अक्सर कुछ महिलाएं पीरियड्स के दौरान खराब पेट की शिकायत करती हैं. क्या यह लक्षण किसी बीमारी का तरफ संकेत करते हैं या यह सामान्य बात है?
पीरियड्स में ब्लोटिंग होना सामान्य है
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. हुमा अली कहती हैं कि हर लड़की या महिला को पीरियड्स शुरू होने से पहले या उसके दौरान ब्लोटिंग हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीरियड्स में प्रोजेस्टेरोन नाम का हॉर्मोन रिलीज होता है, जिसकी वजह से इंटेस्टाइन यानी आंतें अच्छे से हिल नहीं पातीं. इसे बाउल मूवमेंट कहते हैं. पीरियड्स में ऐसा होना सामान्य बात है. कुछ महिलाओं को कब्ज भी इसी वजह से हो सकता है. हालांकि पेट खराब होने पर पीरियड्स पर कोई असर नहीं पड़ता.
एक हॉर्मोन की वजह से हो सकते हैं लूज मोशन
डॉ. हुमा अली के अनुसार जब पीरियड्स शुरू होते हैं तो एक और हॉर्मोन रिलीज होता है जिसे prostaglandin कहते हैं. इसकी वजह से पीरियड्स में क्रैम्प यानी पेट दर्द और ऐंठन आती है. इस हॉर्मोन की वजह से ही कुछ महिलाओं को बार-बार लगता है जैसे मोशन आ रहे हैं. कुछ को लूज मोशन भी हो जाते हैं. यह नॉर्मल नहीं है. अगर किसी महिला को इस दौरान ज्यादा लूज मोशन हो रहे हों तो यह एंडोमेट्रियोसिस का लक्षण हो सकता है.
पीरियड्स के दौरान लिक्विड डाइट जैसे सूप, खिचड़ी लें (Image-Canva)
एंडोमेट्रियोसिस में ज्यादा दिक्कत
हेल्थलाइन के अनुसार जो महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस की शिकार होती हैं, उन्हें पीरियड्स में अक्सर लूज मोशन हो जाते हैं. एंडोमेट्रियोसिस में यूट्रस के अंदर की एंडोमेट्रियम लाइनिंग जैसी लाइनिंग ओवरी, ब्लेडर, आंतों या फैलोपियन ट्यूब के ऊपर कहीं भी बन जाती है. जब पीरियड्स शुरू होते हैं तो एंडोमेट्रियम लाइनिंग ब्लड के साथ रिएक्शन करती है. अगर यह लाइनिंग जैसा पैच आंतों पर हो तो पेट खराब हो सकता है.
पीरियड्स में लक्षण पहचानें
महिलाओं के शरीर में दो हॉर्मोन्स बनते हैं एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन. मेंस्ट्रुअल साइकिल इन्हीं हॉर्मोन्स से चलती है. यह साइकिल हर महिला का अलग-अलग होती है. सामान्य तौर पर मेंस्ट्रुअल साइकिल 28 से 35 दिन तक चलती है और पीरियड्स होने के बाद एग बनता है. मेंस्ट्रुअल साइकिल का पहला फेज फॉलिकुलर कहलाता है. जब बॉडी में एग विकसित होता है तो फर्टिलिटी फेज आता और जब एग फर्टाइल नहीं होता तो शरीर में पीरियड्स होने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसे ल्यूटियल फेज कहते हैं. हर महिला को अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल का पता होना चाहिए. जब पीरियड्स की तारीख नजदीक आए तो खुद में लक्षण को महसूस करें. अमेरिकन सोसायटी ऑफ रिप्रोडक्शन मेडिसिन के अनुसार अगर किसी महिला को एंडोमेट्रियोसिस है तो जब तक पीरियड्स चलते हैं, उन्हें असहनीय दर्द होता है. अधिक ब्लीडिंग होती है, 7 दिन से ज्यादा पीरियड्स चल सकते हैं. संबंध बनाते हुए दर्द हो सकता है या मल या यूरिन में खून आ सकता है. अगर ऐसा हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए. एंडोमेट्रियोसिस में महिला इनफर्टिलिटी से भी जूझ सकती है. यह बीमारी तब तक ठीक नहीं होती, जब महिला को मेनोपॉज ना हो जाए.
स्ट्रेस भी करता है पेट खराब
इस दौरान कुछ महिलाएं स्ट्रेस में रहने लगती हैं और उन्हें एंग्जाइटी भी होने लगती है. हद से ज्यादा स्ट्रेस डाइजेशन को खराब करने लगता है. मेडिकल टुडे न्यूज के अनुसार हैपी हार्मोन्स सेरोटोनिन 90% आंतों से रिलीज होते हैं. लेकिन पीरियड्स में मूड स्विंग होते हैं और स्ट्रेस बढ़ जाता है तो हैप्पी हॉर्मोन्स बनने बंद हो जाते हैं और इससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है. बेहतर है कि इस दौरान स्ट्रेस से दूर रहें. हर रोज 10 से 15 मिनट मेडिटेशन करें, एक्सरसाइज करें, अपनी हॉबी के लिए समय निकालें. ऐसा करने से तनाव नहीं होगा और पीरियड्स में पेट भी दुरुस्त रहेगा.
मीठा या तला-भुना ना खाएं
पीरियड्स में अगर कोई लड़की केक, पेस्ट्री, बर्गर, पिज्जा जैसे जंक फूड या शुगर वाले फूड आइटम खाए, तब भी पेट खराब हो सकता है. इसके अलावा इस दौरान तले-भुले, मिर्च वाली चीजों, चाय-कॉफी और डेयरी प्रोडक्ट्स से भी बचना चाहिए. इन फूड आइटम्स को खाने से बाउल मूवमेंट खराब हो जाती है क्योंकि इन्हें पचने में समय लगता है और पहले ही पीरियड्स के दौरान पाचन तंत्र प्रभावित होता है. ऐसे में ब्लोटिंग, कब्ज और दस्त होना आम है.
पीरियड्स के दौरान योगा करें या लोअर बॉडी से जुड़ी एक्सरसाइज करें (Image-Canva)
पीरियड्स में पानी ना पीएं कम
पीरियड्स में पेट खराब होने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है. इसलिए इस दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. डायरिया होने से शरीर में पानी कम होने लगता है जिससे इंसान डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है. इसके अलावा सूप, दाल का पानी, जूस जैसी चीजें भी डाइट में शामिल करें.
गट हेल्थ पर दें ध्यान
हेल्थलाइन के मुताबिक जिन महिलाओं को पीरियड्स में दौरान डायरिया होता है, उन्हें पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिन पहले ही अपनी डाइट फाइबर शामिल कर लेने चाहिए. अनाज, छिलके समेत सब्जियां और फल खाने से लूज मोशन नहीं होते. वहीं, डाइट में प्रोबायोटिक फूड लें जैसे दही, अचार, इडली यानी जिसमें खमीर हो. प्रोबायोटिक डाइट लेने से गट या आंतों में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं जिससे डायरिया के लक्षण नहीं होते. पीरियड्स के दौरान छोटे-छोटे भागों में खाना चाहिए. इसके अलावा नमकीन चीजें ज्यादा खानी चाहिए जिससे शरीर में सोडियम की कमी ना हो.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 18:05 IST