मेरठ. आजकल एनसीआर क्षेत्र के लोग वायु प्रदूषण से पीड़ित है. वायु प्रदूषण को लेकर पशु चिकित्सा विभाग ने शानदार पहल की है. पशु चिकित्सा विभाग ने ऐसा समाधान निकाला है जिसकी चर्चा ख़ूब हो रही है. समाधान ऐसा जो बिलकुल प्रैक्टिकल है. गो आश्रय स्थलों का गोबर किसानों को दिया जाए ताकि वो उसे खाद के रुप में खेतों में इस्तेमाल कर सके और किसान बदले में अपने खेत से निकली पराली गो आश्रय स्थलों को दें ताकि पराली पशुओं के बैठने के लिए सर्दियों में बिछावन का कार्य करे या फिर उसे चारे में काटकर जानवरों को खिलाया जाए. ऐसा कहना है कि यदि इस पर काम किया जाए तो एनसीआर से जहरीली हवा खत्म हो जाएगी.
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस बावत अब तक जनपद में एक हज़ार कुंतल से ज्यादा पराली इकट्ठा की गई है और उसे गो आश्रय स्थलों को दिया जा रहा है जबकि गो आश्रय स्थल के गोबर को किसानों को खाद के रुप में इस्तेमाल करने के लिए दिया जा रहा है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुभाष मलिक का कहना है कि इससे पराली का उपयोग सही तरीके से हो सकेगा. महत्वपूर्ण है कि गो आश्रय स्थल पर लगे कूड़े का ढेर समस्या है तो खेतों में धान से निकलने वाली पराली जलाने के बाद प्रदूषण फैलाती है. शासन ने इऩ दोनों समस्याओं को एक दूसरे का समाधान बना दिया है.
किसान पराली दें और गो आश्रय वाले बदले में देंगे गोबर…
नगर निकाय और पशुधन विभाग गो आश्रय स्थल के गोबर तथा उसकी खाद किसानों को देंगे और किसान उसके बदले में अपने खेतों में जलाई जाने वाली पराली देंगे. गोबर किसान के खेतों में खाद का काम करेगा और पराली गो आश्रय स्थलों में पशुओं के नीचे बिछाने के साथ भोजन का काम करेगी. वहीं पराली को लेकर पंचायत राज विभाग भी सक्रिय है. ज़िला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि लगातार अलग अलग गांवों में जागरुकता अभियान भी चलाया जा रहा है कि किसान पराली कतई न जलाएं. उन्होंने बताया कि जनपद में ग्रेप चार लागू है. ऐसे में प्रधानों से अपील की जा रही है कि वो किसानों को प्रेरित करें. पराली का इस्तेमाल खाद के रुप में करें. वहीं सीडीओ नपुर गोयल ने आज किसानों के साथ मीटिंग कर पराली न जलाए जाने की अपील की है.
FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 21:01 IST