शाहजहांपुर: नवंबर के महीने में किसान सरसों की भी बुवाई करते हैं. सरसों की फसल में कई ऐसे रोग लगते हैं, जो फसल को पूरी तरह से चपेट में लेकर बर्बाद कर देते हैं. लेकिन अगर किसान बुवाई के वक्त ही कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें तो सरसों की फसल से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है. गौरतलब है कि सरसों की बुवाई के 20 दिन बाद फसल साग के लायक हो जाती है, जिसे बेचकर किसान अच्छा मुनाफा कमाते हैं. बाजार में सरसों के साग की सर्दियों के शुरुआत में काफी अच्छी मांग होती है. इसका अच्छा पैसा मिलता है. साथ ही सरसों के तेल की मांग साल भर होती है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा रोग की एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि तुलासिता रोग और सफेद गेरूई रोग फसल को कई बार चपेट में ले लेते हैं. लेकिन अगर किसान मृदा उपचार और बीज उपचार कर सरसों की फसल की बुवाई करें तो फसल को कई रोगों से बचाया जा सकता है. इतना ही नहीं किसान कम लागत में सरसों की फसल से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
इस कारण देर से हो रही है बुवाई
वैसे आमतौर पर सरसों की फसल की बुवाई अक्टूबर के महीने में होती है, लेकिन इस बार धान की फसल की कटाई देरी से होने की वजह से नवंबर के महीने में किसान सरसों की फसल की बुवाई कर रहे हैं. सरसों की फसल की बुवाई करते समय किसानों को बीज उपचार करना जरूरी है. 1 किलो बीज उपचारित करने के लिए 1 ग्राम कार्बेंडाजिम (Carbendazim) और 2 ग्राम थीरम डब्ल्यू एस (Thiram 75% WS) का इस्तेमाल करना चाहिए.
3 ग्राम इस दवा का करें इस्तेमाल
जिन खेतों में सरसों की फसल में ज्यादा रोग आते हैं. वहां किसान मेटालैक्सिल 35% डब्ल्यू एस (Metalaxyl 35% WS) नाम की दवा से बीज उपचार करें. किसान 1 किलो बीज उपचारित करने के लिए 3 ग्राम मेटालैक्सिल का इस्तेमाल करें. जिससे सरसों की फसल में तुलासिता रोग और सफेद गेरूई रोग का बचाव हो जाएगा. इसके अलावा बीज का जमाव भी बेहतर होगा.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2024, 18:01 IST