बहराइच: लॉकडाउन के दौरान बहराइच जिले में रहने वाला एक परिवार भुखमरी की कगार पर आ गया था तब उसी परिवार के 9 वर्ष के आफताब ने अपने घर की परेशानी देखते हुए कुछ ऐसा काम किया कि आज घर परिवार आराम से चल रहा है. 9 वर्ष का बालक आफताब आज 14 वर्ष का हो गया है. कोविड के दौरान घर की जिम्मेदारी अपने ऊपर उठा कर आफताब ने बहराइच शहर में गुब्बारे बेचने का काम शुरू कर दिया था जो आज भी जारी है.
आफताब कैसे करता है गुब्बारों की बिक्री?
आफताब गुब्बारों को बेचने के लिए सबसे पहले इनको बाजार से खरीद कर लाता है और फिर इनको पंप की सहायता से हवा भरकर लकड़ी के एक बड़े से डंडे में हर तरफ सजा लेता है. इसके बाद बहराइच शहर की बाजारों में पैदल घूम-घूम कर गुब्बारों की बिक्री करता है. आफताब ने बताया कि इन गुब्बारों को बेचने के लिए 10 से 15 किलोमीटर हर रोज पैदल चलना पड़ता है तब जाकर खाने खर्च का निकल पाता है.
कितनी होती है हर रोज बिक्री
आफताब ने बताया कि सुबह 9:00 बजे घर से निकलने के बाद रात को 10:00 बजे घर वापस जाना होता है. इस बीच में 600 रुपये से लगाकर 800 रुपये तक बिक्री हो जाती है जिसमें से सब कुछ निकालने के बाद तीन से ₹400 बच जाते हैं. आफताब इस पैसे को अपनी मां के पास भेज देता है. आफताब बहराइच शहर में किराए के मकान पर रहकर यह काम कर रहा है. मां 60 किलोमीटर दूर गांव में रहती है. आफताब ने बताया कि 10 से 15 किलोमीटर हर रोज बैलून की बिक्री करने में पैर काफी दर्द करने लगता है लेकिन अब काम भी तो है करना तो पड़ेगा ही.
किस-किस तरह के बैलून मिलेंगे आफताब के पास?
आफताब की लंबी सी लकड़ी की छड़ी में आपको एक दो तरह के नहीं बल्कि कई तरह के बैलून नजर आ जाएंगे. इनमें स्पाइडर-मैन, कबूतर, खरगोश और बत्तख समेत कई तरह के बैलून आफताब के पास रहते हैं. इनको बाजार में घूम-घूम कर बेचते समय बच्चे इन्हें खरीदते हैं. इनकी शुरुआती कीमत ₹20 से लगाकर ₹100 तक होती है.
FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 22:30 IST