नई दिल्ली. Meta के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का न्यूक्लियर पावर से संचालित पहला AI डेटा सेंटर बनाने का बड़ा प्लान रुकता नजर आ रहा है. दरअसल, अमेरिका में इस प्रोजेक्ट के लिए चुनी गई जगह पर मधुमक्खियों की दुर्लभ प्रजाति पाई गई है, जिसकी वजह से अब कंपनी को कई रेगुलेशन का पालन करना पड़ सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक कर्मचारी ने बताया कि इस दुर्लभ प्रजाति की खोज के बाद इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना काफी मुश्किल हो सकता है.
मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि अगर यह डील आगे बढ़ती, तो मेटा का पहला न्यूक्लियर पावर से चलने वाला AI डेटा सेंटर होता. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी को जल्द निर्णय लेना होगा क्योंकि उनके प्रतियोगी कंपनियां भी न्यूक्लियर पावर में निवेश कर रही हैं.
सता रही प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के आगे निकलने की चिंता
Meta ही नहीं, बल्कि Google ने भी अपने डेटा सेंटर को न्यूक्लियर पावर से संचालित करने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, Google ने वर्ष 2030 तक सात मिनी न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है. इस दिशा में कंपनी स्टार्टअप कैरोस पावर के साथ मिलकर काम कर रही है. Amazon और Microsoft भी न्यूक्लियर पावर के उपयोग पर काम कर रहे हैं, ताकि अपने डेटा सेंटर्स की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके.
बढ़ रही पावर की जरूरत
AI डेटा सेंटरों का इस्तेमाल बड़े स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संबंधित कार्यों के लिए किया जाता है. इन सेंटरों में हाई-परफॉर्मेंस सर्वर, स्टोरेज सिस्टम और नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाएं होती हैं, जिन्हें सुचारू रूप से चलाने के लिए भारी मात्रा में बिजली की जरूरत होती है. इसके लिए कई कंपनियां मिनी न्यूक्लियर प्लांट्स पर निर्भर हो रही हैं ताकि बिजली की जरूरत को पूरा किया जा सके.
न्यूक्लियर पावर का डेटा सेंटर इंडस्ट्री में बढ़ता महत्व
मौजूदा समय में बढ़ते डेटा और पावर जरूरतों को देखते हुए न्यूक्लियर पावर से संचालित डेटा सेंटर की मांग बढ़ रही है. Meta, Google, Amazon और Microsoft जैसी कंपनियां अपने डेटा सेंटरों को सुरक्षित, सक्षम और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए न्यूक्लियर पावर की तरफ रुख कर रही हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 12, 2024, 17:42 IST