सोनभद्र: सोनांचल का लाल टमाटर विदेशों तक पहुंचकर वहां के मंडियों की शोभा बढ़ाता है. विदेशियों की थाली में सलाद के रूप में उनके जायके को मजेदार बनाता है. टमाटर की खेती करने वाले किसान अपनी उपज बेचकर अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. अगर जिले में उद्योग स्थापित करा दिया जाए तो इससे हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सकता है. जनपद में पांच हजार हेक्टेयर में टमाटर खेती की गई है.
आपको बता दें कि वैसे तो सोनभद्र की प्रमुख फसल धान, गेहूं और मोटा अनाज है, लेकिन बीते एक दशक से बाहरी व्यापारियों के आने से यहां पर टमाटर की खेती को बढ़ावा मिला है. जिले का लाल टमाटर बांग्लादेश से लेकर नेपाल के मंडियों तक पहुंच रहा है. घोरावल ब्लाक के करमा क्षेत्र में सबसे अधिक करीब डेढ़ हजार हेक्टेयर में टमाटर की खेती की गई है. एक बीघे टमाटर की खेती करने पर 15 से 20 हजार रुपये की लागत आती है. किसानों को प्रति बीघा 50 हजार रुपये की बचत भी होती है.
आती है ये बड़ी समस्या
इन सबके बीच एक समस्या यहां आती है कि जिले में सही बाजार और संसाधन की उपलब्धता न होने के कारण किसान अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर हो जाते हैं. इससे उनकी हुई कमाई भी बर्बाद चली जाती है.
इस बारे में में जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर हरि कृष्ण मिश्रा ने बताया कि सोनांचाल में दो ब्लॉक क्षेत्र खासकर ऐसे हैं जहां टमाटर की खेती बहुतायत मात्र में होती है. घोरावल विकास खंड और करमा ब्लॉक क्षेत्र इसके अतिरिक्त सदर विकास खंड राबर्ट्सगंज के भी कुछ क्षेत्र में इसकी उपज अच्छी होती है. टमाटर की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. बस किसानों को खेती के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बेहतर किस्म की बीज का चयन करें. इसके साथ ही अगर सही तरीके से इसकी खेती की जाए तो सोनभद्र में टमाटर की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
FIRST PUBLISHED : November 10, 2024, 21:06 IST