आगरा: यूपी के आगरा में तेज रफ्तार ट्रक से टकराने के बाद खून से लथपथ भोला हाथी को लावारिस छोड़ दिया गया था. ऐसा लग रहा था कि उसका जीवन अब खत्म हो गया है, लेकिन आज 60 साल का यह नर हाथी वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र में अपने बचाव और पुनर्वास के 14 साल पूरे कर चुका है. उसकी कहानी सभी संकटग्रस्त जानवरों के लिए आशा का प्रतीक बन गई है.
जानें भोला हाथी के बारे में
2010 में भोला हाथ को नोएडा से बचाया गया था. जहां भोला हाथी गंभीर रूप से घायल और सड़क पर बेहोश पड़ा हुआ मिला था. उसे लंबे समय तक भीख मांगने के लिए इस्तेमाल किया गया था और उसे लगातार चोटें दी जाती थी. लगभग नेत्रहीन भोला गंभीर रूप से संक्रमित पूंछ के घाव से पीड़ित था, लेकिन समय पर देखभाल के कारण उसकी स्थिति में सुधार आना शुरू हुआ और उसे मथुरा के हाथी संरक्षण केंद्र में इलाज मिल गया.
जहां अंधेपन और कमजोर दृष्टि के बावजूद भोला हाथी ने धीरे-धीरे अपनी जिंदगी में एक नया रास्ता चुना. उसकी देखभाल में एंटीसेप्टिक ड्रेसिंग और नियमित फुट बाथ शामिल है. हालांकि वह देख नहीं सकता. फिर भी वह टारगेट ट्रेनिंग (लक्ष्य प्रशिक्षण) से अपने देखभाल करने वालों के इशारों को समझता है और अपनी दिनचर्या का पालन करता है, जिससे उसे आराम और सुरक्षा महसूस होती है.
हाथी के पसंदीदा भोजन का किया गया इंतजाम
भोला हाथी की 14वीं सालगिरह पर केंद्र में उसके लिए फलों की दावत रखी गई, जिसमें उसके पसंदीदा फल तरबूज का भी इंतजाम किया गया था. उसका आहार भी उसकी जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जाता है, जिसमें ताजा हरा चारा, सब्जियां और विशेष अनाज शामिल हैं. अपनी स्मृति और देखभाल करने वालों के सहारे वह अपने परिवेश में आसानी से घूमता है.
भोले की कहानी देती है प्रेरणा
वाइल्डलाइफ एसओएस के उप-निदेशक डॉ. एस इलियाराजा ने कहा कि ‘भोला की देखभाल हमारी प्राथमिकता है. उसे खुश और स्वस्थ देखना हमारे लिए खुशी की बात है’. वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि भोला हाथी की कहानी साहस की मिसाल है. उसे फिर से इंसानों पर भरोसा करते हुए देखना बहुत प्रेरणादायक है. भोला की कहानी न केवल उसके जीवन की कठिनाइयों पर विजय पाने की है. बल्कि यह प्यार और देखभाल से उसकी जिंदगी में आए बदलावों की भी कहानी है.
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FIRST PUBLISHED : November 10, 2024, 09:09 IST