गाजीपुर: आजकल स्मार्टफोन, लैपटॉप और टेलीविजन के अधिक इस्तेमाल से बच्चों और युवाओं में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष की समस्या तेजी से बढ़ रही है. आंकड़ों के अनुसार, साल 2050 तक बच्चों में मायोपिया के मामलों की संख्या 74 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. गाजीपुर जैसे छोटे शहरों में भी इस समस्या के मामलों में तेजी देखी जा रही है. जिला अस्पताल के नेत्र विभाग में प्रतिदिन बड़ी संख्या में मायोपिया से ग्रसित बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार स्क्रीन देखने की आदत ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है.
आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारण
नेत्र चिकित्सा विशेषज्ञ स्नेहा सिंह के अनुसार, अगर माता-पिता में से किसी एक या दोनों को मायोपिया है तो आनुवांशिक कारणों से बच्चों में भी इस समस्या की संभावना अधिक होती है. इसके अलावा बच्चों का लंबे समय तक कंप्यूटर, टैबलेट या मोबाइल स्क्रीन पर बिताना भी इसका प्रमुख कारण है. आंखों को पर्याप्त आराम न मिलने और कम दूरी से स्क्रीन देखने की आदत के चलते दृष्टि दोष का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. उचित दूरी और सीमित समय पर ध्यान देकर मायोपिया के जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है परन्तु इसे पूरी तरह रोकना कठिन है.
बचाव के उपाय: स्क्रीन टाइम और उचित आदतें
मायोपिया से बचने के लिए बच्चों के स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि बच्चे हर 20 मिनट के स्क्रीन समय के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर की वस्तु को देखें. यह 20-20-20 नियम आंखों को आराम देता है और दृष्टि को स्थिर रखता है. इसके अलावा बच्चों को बहुत करीब से टेलीविजन न देखने दें और पढ़ते समय कमरे में पर्याप्त रोशनी रखें. कंप्यूटर, टैबलेट और मोबाइल का उपयोग एक सीमित समय तक ही हो ताकि आंखों पर दबाव न पड़े.
FIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 23:06 IST