सुल्तानपुर: भारतीय ग्रामीण समाज में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जिनकी मान्यताएं प्राचीन काल से चली आ रही हैं. इन्हीं में से एक है सुल्तानपुर जिले के इसौली गांव का नर्वदेश्वर महादेव मंदिर. यहां के लोगों का मानना है कि मंदिर में सच्चे मन से की गई प्रार्थना हमेशा पूर्ण होती है. गांव में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले इस मंदिर में आकर भगवान शिव का आशीर्वाद लेना अनिवार्य माना जाता है. खास बात यह है कि यह मंदिर प्राचीन लखौरी ईंटों से निर्मित है, जो इसे एक विशेष पहचान देता है.
मंदिर की अनोखी मान्यता
मंदिर के संरक्षक देवी शंकर श्रीवास्तव ने लोकल 18 को बताया कि गांव में शादी के आयोजन से पहले सभी को नर्वदेश्वर महादेव के दर्शन करना जरूरी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने के बाद ही विवाह कार्य सफल होता है. मंदिर के प्रांगण में एक विशाल बरगद का पेड़ और शीतला माता का मंदिर भी स्थित है, जो यहां की धार्मिकता और आस्था को और भी बढ़ाता है.
नर्वदेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
इसौली के नर्वदेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास 150 वर्षों से भी अधिक पुराना है. इस मंदिर की स्थापना हनुमंत राय श्रीवास्तव ने करवाई थी. सुल्तानपुर से कुड़वार रोड पर लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर न केवल जिले की सांस्कृतिक धरोहरों को संजोता है बल्कि यहां की भव्यता का प्रतीक भी है. मंदिर का निर्माण लखौरी ईंटों से हुआ है, जो इसे स्थापत्य की दृष्टि से भी अनोखा बनाता है.
विशेष अवसरों पर भक्तों की भीड़
मंदिर में हर साल शिवरात्रि और जन्माष्टमी के अवसर पर हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इस दिन लोग नर्वदेश्वर महादेव के दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धा से आता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. मंदिर हर रोज सुबह 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है, ताकि श्रद्धालु यहां आकर दर्शन कर सकें.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
नर्वदेश्वर महादेव मंदिर न केवल सुल्तानपुर के लोगों के लिए बल्कि दूर-दराज के श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है. इस मंदिर की प्राचीनता, इसके स्थापत्य की विशेषता और धार्मिक मान्यताओं के कारण यह एक महत्वपूर्ण धरोहर बन चुका है.
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FIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 08:27 IST
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