रजत भट्ट: शोध की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और शोधार्थियों को सही दिशा में मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) ने एक नई पहल की है. अब शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए यह जानना आसान होगा कि उनका शोधपत्र किस प्रकार के जर्नल में प्रकाशित हो रहा है और उसकी प्रतिष्ठा क्या है. इसके लिए विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर ‘सिमेगो’, ‘रिसर्चर गेट’ और ‘वेब ऑफ साइंस जर्नल इन्फो’ जैसे संसाधनों का लिंक प्रदान किया गया है.
शोधार्थियों को सही दिशा में मार्गदर्शन
DDUG प्रशासन ने पिछले महीने ही इस नई व्यवस्था को लागू किया है, जिसका उद्देश्य शिक्षकों और शोधार्थियों को यह जानकारी देना है कि, जर्नल कितना प्रतिष्ठित है और इसे प्रकाशन के लिए चुनना उपयुक्त है या नहीं. प्रो. पुष्पेंद्र टंडन, कूपाध्यक्ष, ने बताया कि, जर्नल्स की वैलिडिटी और उनकी क्वालिटी चेक करने के लिए ‘सिमेगो’, ‘रिसर्चर गेट’, और ‘वेब ऑफ साइंस जर्नल इन्फो’ जैसी वेबसाइट्स से मार्गदर्शन लिया जा सकता है.
इन वेबसाइट्स पर जाकर शोधार्थी और शिक्षक जर्नल्स की प्रतिष्ठा और उनके प्रभाव कारकों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. इन संसाधनों से यह भी समझा जा सकता है कि कौन से जर्नल्स को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मान्यता प्राप्त है और उनके शोध पत्रों का प्रकाशन किस प्रकार के जर्नल में होना चाहिए.
डॉ. अवंकार सिंह श्रीवास्तव, विश्वविद्यालय के वेबसेक प्रशासक, ने बताया कि, इस पहल का उद्देश्य शोधार्थियों और शिक्षकों को उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्रकाशित करने में सहायता करना है. विश्व स्तर पर शोध के मानदंडों को ध्यान में रखते हुए, इन संसाधनों के माध्यम से शोध पत्रों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करना आसान होगा.
डीडीयू का यह कदम न केवल शोध की गुणवत्ता को बढ़ावा देगा, बल्कि शोधार्थियों को सही प्रकाशन मंच चुनने में भी सहायता करेगा. उम्मीद है कि यह पहल विश्वविद्यालय में शोध कार्य की गुणवत्ता को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 15:01 IST