शाहजहांपुर : किसान गन्ने की फसल की बुवाई करते वक्त बेसल डोज में फास्फेटिक खाद का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन फास्फेटिक खाद का बहुत बड़ा हिस्सा जमीन में ही पड़ा रहता है. पौधे महज 15 से 25% ही ग्रहण कर पाते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा पीएसबी (Phosphorus Solubilizing Bacteria) नाम का जैविक उत्पाद तैयार किया गया है. जो फॉस्फेटिक उर्वरक को घुलनशील बनाकर पौधों को ग्रहण करने की अवस्था में ले जाते हैं.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि किसान जो फॉस्फेटिक खाद खेत में इस्तेमाल करते हैं. पौधे उसका 15 से 25% ही इस्तेमाल कर पाते हैं और शेष 75% उर्वरक जमीन में वैसे ही पड़ा रहता है. ऐसे में लगातार खाद की मात्रा बढ़ती जाती है. जिससे उसकी लागत बढ़ती जाती है लेकिन पौधों को वह लाभ नहीं मिल पाता जो मिलना चाहिए.
क्या है पीएसबी?
डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि पीएसबी एक बैक्टीरिया आधारित जैविक खाद है. जिसे स्यूडमोनास नाम के बैक्टीरिया से तैयार किया गया है. ये बैक्टीरिया फॉस्फेटिक खादों को घुलनशील बनाता है. पीएसबी को फसल की बुवाई से पहले की जाने वाली अंतिम जुताई के समय सड़ी हुई गोबर की खाद या मिट्टी में मिलाकर इसको छिड़काव कर देना है. छिड़काव करने के बाद पीएसबी मिट्टी में पड़ी हुई फॉस्फेटिक खादों को घुलनशील बना देगा है. जिससे पौधे फॉस्फेटिक खादों को पूरी तरह से ग्रहण कर सकेंगे और किसानों को उत्पादन अच्छा मिलेगा.
इस मात्रा में करें इस्तेमाल
डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि गन्ने की फसल की बुवाई से पहले पीएसबी का इस्तेमाल जरूर करें. पीएसबी को 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में छिड़काव करना है. जो कि 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है. जो किसान पीएसबी को खरीदना चाहते हैं वह किसी भी कार्य दिवस में उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के संस्थान पर जाकर इसको आसानी से खरीद सकते हैं.
FIRST PUBLISHED : November 5, 2024, 18:05 IST