बलिया: बागी तेवर और स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाला बलिया जिला विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट गया है. भले ही नगर पालिका प्रशासन स्वच्छता के बड़े-बड़े दावे करता हो, लेकिन कूड़ा निस्तारण के लिए ठोस कदम उठाने में अब तक विफल रहा है. जनता के बीच अब सवाल उठ रहे हैं कि करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद नगर पालिका कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था में असफल क्यों रही है.
नगर पालिका के सिविल लाइन इलाके के सभासद अमित दुबे ने आरोप लगाया कि नगर पालिका में भ्रष्टाचार का बोलबाला है. उन्होंने बताया कि विकास कार्यों के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है. पूर्व अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा को जांच के बाद निलंबित किया गया था, जो इस बात की पुष्टि करता है कि ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है.
कूड़े का ढेर, जिम्मेदार अधिकारियों की नींद और जनता की परेशानी
वरिष्ठ पत्रकार मधुसूदन सिंह के अनुसार, नगर पालिका स्वच्छता के नाम पर जनता से टैक्स वसूलती है, लेकिन उसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हो रहा. वर्षों पहले करोड़ों की लागत से नगर पालिका ने कूड़ा निस्तारण के लिए एक जमीन खरीदी, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही नहीं था. कई कोशिशों के बाद रास्ता मिला, लेकिन तब तक इस परियोजना को भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया. 2022 में बसंतपुर में कूड़ा निस्तारण केंद्र का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन कुछ ही समय बाद यह काम भी ठप हो गया.
कागजों में सीमित, सफाई व्यवस्था से जनता परेशान
बलिया में करीब 15 करोड़ रुपए का कूड़ा निस्तारण केंद्र एक सफेद हाथी बनकर रह गया है. कूड़े के ढेर से शहर के निवासियों का जीना मुश्किल हो गया है, लेकिन सफाई के नाम पर महज कागजों में काम दिखाया जा रहा है. सफाई कर्मियों को कई महीने से वेतन भी नहीं मिला है, जिसके चलते वे कई बार आंदोलन कर चुके हैं.
धुएं और बदबू से बढ़ता जन-स्वास्थ्य का खतरा
बलिया के कई इलाके, जैसे महावीर घाट मुख्य मार्ग और निराला नगर, नगर पालिका द्वारा फेंके गए कूड़े के कारण प्रदूषित हो गए हैं. इन जगहों पर कूड़ा जलाने से उठने वाला धुआं और बदबू स्थानीय लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है. वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ रमन कुमार झा के अनुसार, कूड़े का धुआं छाती, फेफड़ों और हृदय पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिससे यह प्रदूषण जानलेवा बन सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2024, 15:34 IST