रामपुर: रमणीय रसोई की खुशबू और शाही स्वाद का संगम कौन नहीं जानता. यह कहानी है उस खास दाल की, जो नवाबों के लिए खास अवसरों पर तैयार की जाती थी. यह कोई साधारण दाल नहीं, बल्कि इसमें सच्चे मोती का उपयोग कर छौंक लगाया जाता था, जो इसे नायाब और स्वादिष्ट बना देता था. नवाबी रसोई के तीसरी पीढ़ी में काम कर रहे पुराने शेफ माहिर अहमद बताते हैं कि यह दाल उनके दादा जी, जो नवाबों के रसोइये थे, द्वारा खासतौर पर बनाई जाती थी.
हाथ के पीसे मसालों बनती है यह शाही संगम
माहिर अहमद के अनुसार, यह दाल शाही खानदान की विशेष दावतों और उत्सवों के लिए तैयार की जाती थी. इसका स्वाद न केवल लाजवाब होता था, बल्कि इसकी पूरी विधि भी बेहद खास थी. सबसे पहले इस दाल को बनाने के लिए कई प्रकार की दालों को मिलाकर तैयार किया जाता था. खास बात यह थी कि मसालों को हाथ से कूटकर उपयोग किया जाता था, जिससे उनका ताजगी भरा स्वाद दाल में भरपूर आ जाता था.
देसी घी भूनकर होता है तैयार
इस दाल की खासियत सच्चे मोती से किया जाने वाला छौंक था. मोतियों को पीसकर उन्हें देसी घी में भूनकर दाल में डाला जाता था, जो इसका स्वाद और भी खास बना देता था. इस प्रक्रिया से दाल को एक अनोखा और समृद्ध स्वाद मिलता था, जो नवाबों की पसंदीदा व्यंजनों में से एक था.
नवाबी रसोई है एक परंपरा
आज भले ही यह दाल आम लोगों के लिए एक कहानी बन गई हो, लेकिन नवाबी रसोई में इसका महत्व आज भी बरकरार है. माहिर अहमद बताते हैं कि यह दाल पीढ़ियों से बनाई जा रही है और वह खुद भी अपनी आने वाली पीढ़ियों को इस शाही विधि से परिचित करवा रहे हैं. इस शाही दाल का स्वाद न केवल नवाबों के दौर की यादें ताजा करता है, बल्कि भारतीय रसोई की समृद्ध परंपरा का हिस्सा भी है.
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FIRST PUBLISHED : November 3, 2024, 12:30 IST