आजमगढ़: दीपावली नजदीक आते ही मिट्टी आदि से बने दिये का मार्केट गर्म हो जाता है. ज्यादातर जगहों पर मिट्टी के बने दिए ही प्रयोग होते हैं लेकिन आजमगढ़ में एक जगह ऐसी भी है जहां पर गोबर के दिए बनाए जाते हैं. सबसे खास बात यह है कि यहां पर गोबर से बने हुए दिए अयोध्या के प्रसिद्ध दीपोत्सव में प्रयोग किए जाते हैं. गाय की गोबर से बने दिए अपने आप में अन्य दियों से विशेष इसलिए हैं क्योंकि हिंदू धर्म में गाय और गाय के गोबर का भी विशेष महत्व है.
जिले के नगर पंचायत जहानागंज में गाय के गोबर से गणेश लक्ष्मी जी की प्रतिमा और दीपावली में उपयोग होने वाले दिए बनाए जाते हैं. यहां पर बनने वाली भगवान की मूर्तियों और दीयों को क्षेत्र के लोगों द्वारा बेहद पसंद किया जाता है. जहानागंज बाजार के धरवारा रोड पर स्थित श्री बजरंग सेवा समिति ट्रस्ट द्वारा संचालित मंगल गो सेवा गो उत्पाद प्रशिक्षण संस्था द्वारा पंचगव्य, गाय के गोबर से लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति, श्री यंत्र, चरण पादुका, ओम, श्री, स्वस्तिक और दिए का निर्माण कराया जाता है.
ये है मान्यता
इन उत्पादों में पूर्ण रूप से सात्विक और शुद्ध चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है. इससे यह पूजा-पाठ आदि के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है. ऐसा मानना है कि इन्हें घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. शास्त्रों के अनुसार, गाय के गोबर में ही लक्ष्मी जी का वास होता है. ऐसे में गाय के गोबर से बनाई गई गणेश लक्ष्मी जी की मूर्ति और दिए अपने आप में विशेष माने जाते हैं.
संस्था के अध्यक्ष सुदीप कुमार सिंह ने लोकल 18 को बताया कि इस संस्था के द्वारा देसी गाय के गोबर से लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, श्री यंत्र, चरण पादुका और दिए का निर्माण किया जाता है. उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा निर्माण किए गए उत्पादों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से दूर-दराज पहुंचाया जाता है. दिवाली के अवसर पर अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव के लिए भी संस्था द्वारा बनाए गए दियों का उपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा इस संस्था में बनाए गए उत्पादों को दूर दराज के प्रदेशों में भी भेजा जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2024, 17:54 IST