CM योगी आदित्यनाथ के बंटोगे तो कटोगे नारे का दिख रहा असर सपा मुखिया अखिलेश यादव अब इस नारे के काट तलाशने में जुटे सपा मुखिया की कोशिश है कि पिछड़ा और दलित न बंटने पाए
लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा के पीडीए फॉर्मूले के खिलाफ ‘बंटोगे तो कटोगे’ का नारा देकर समाजवादी पार्टी की चुनौतियां बढ़ा दी हैं. इस नारे के असर को भांपते हुए अखिलेश यादव अब इसकी काट खोजने में जुटे हैं. वे पीडीए को एकजुट कर रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनती ओबीसी वोट बैंक को लेकर है. इतना ही नहीं गठबंधन में सीट न मिलने से कांग्रेस के काडर में भी निराशा दिख रही है. इससे भी सपा की चुनौती बढ़ी है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव में बीजेपी के निराशाजनक प्रदर्शन की वजह ओबीसी वोट में बैंक में बंटवारे को मन जा रहा था. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश हिंसा को लेकर ‘बंटोगे तो कटोगे, एक रहोगे तो नेक रहोगे’ का नारा दिया. कहा जा रहा है कि इसका असर भी हरियाणा विधानसभा चुनाव में देखने को मिला. जमीन पर इस नारे की ‘मारक क्षमता’समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी समझ रहे हैं. यही वजह है कि अखिलेश उपचुनाव में टिकट बांटने में भी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को तवज्जो देते हुए अपर कास्ट से दूरी बना ली. इतना ही नहीं उनका जोर है कि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक में बंटवारा न हो. खासकर पिछड़ा और दलित वोट अगर बीजेपी के साथ गया तो उपचुनाव में खामियाजा भुगतना पड़ा सकता है.
कांग्रेस काडर से समन्वय भी चुनौती
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने दूसरी बड़ी चुनौती कांग्रेस काडर को लेकर है. उपचुनाव में मनमाफिक सीट न मिलने के बाद दूरी बनाने से कांग्रेस के कार्यकर्ता में भी वह उत्साह नजर नहीं आ रहा है. हालांकि अखिलेश यादव कह चुके हैं कि सभी 9 सीटों पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन बूथ स्तर पर सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में समन्वय बनाने के लिए अखिलेश यादव ने नया प्लान बनाया है. जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं वहां सपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की समन्वय बैठकें होंगी.
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FIRST PUBLISHED : October 28, 2024, 11:53 IST