फर्रुखाबाद /सत्यम कटियार: फर्रुखाबाद के नरायनपुर गढ़िया के किसान सत्यम कटियार ने जल संकट और फसल पर रोगों के असर को ध्यान में रखते हुए यूट्यूब से टपक सिंचाई पद्धति सीखी और बाजार से जरूरी उपकरण खरीदकर इसे अपनाया. यह पद्धति गर्मियों में सब्जियों की फसलों के लिए वरदान साबित हो रही है. टपक सिंचाई से खेत में पानी बूंद-बूंद कर पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, जिससे पानी का बेहतर उपयोग और फसल का संतुलित विकास होता है.
पहले पारंपरिक सिंचाई से खेतों में अधिक पानी लग जाता था, जिससे मिट्टी में अत्यधिक नमी के कारण पौधे खराब होने लगते थे और रोगों का प्रकोप बढ़ जाता था. इसके चलते खरपतवार नियंत्रण के लिए महंगे रसायनों का उपयोग करना पड़ता था, जिससे किसानों का खर्चा बढ़ता था और फसल की कीमतें भी कम मिलती थीं. टपक सिंचाई से यह समस्या हल हो गई है, क्योंकि इस पद्धति में फसलों को सीधे पानी की आपूर्ति मिलती है और भूमि पर अधिक वाष्पन नहीं होता है, जिससे जल की बर्बादी भी रुकती है.
टपक सिंचाई के प्रमुख लाभ
टपक सिंचाई में पानी का 95% तक उपयोग हो जाता है, जिससे मृदा की उपजाऊ शक्ति और उर्वरता बढ़ती है. इस पद्धति से खरपतवार का प्रकोप कम होता है, भूमि नमी के संतुलन में रहती है, और कवक जैसे रोग भी नहीं पनपते हैं. यह विधि बलुई, लवणीय और पहाड़ी मिट्टी के लिए भी कारगर साबित हो रही है, जिससे मूंगफली जैसी फसलें भी अब अधिक लाभकारी हो रही हैं.
किसानों के लिए नया रास्ता
टपक सिंचाई से न केवल जल की बचत होती है, बल्कि जैविक उर्वरक का प्रयोग कर उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है. जिले में जल की कमी वाले क्षेत्रों में यह पद्धति खेती के लिए प्रभावशाली समाधान साबित हो रही है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और खेती की लागत में कमी आ रही है.
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FIRST PUBLISHED : October 27, 2024, 17:41 IST