मथुरा: योगीराज श्री कृष्ण की क्रीडा स्थल वृंदावन में अगर आप आ रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. यहां के उत्पाती बंदर आपका क़ीमती समान कब ले उड़ें यह कहा नहीं जा सकता. अगर आपको अपना सामान वापस चाहिए तो आपको इन्हें छोटी सी ‘रिश्वत’ देनी होगी. अगर इन्हें रिश्वत न दी जाए तो यह बंदर आपके सामान को तोड़ने से लेकर उसे ऊंचाई से गिराने तक कुछ भी कर सकते हैं. तो इनकी रिश्वत क्या है वह हम आपको बता रहे हैं.
वृंदावन बांके बिहारी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को लगातार यहां के उत्पाती बंदर अपना निशाना बनाते हैं. यहां पर घात लगाए बैठे यह बंदर उनका कीमती सामान पलक झपकते ही ले उड़ते हैं. यह किसी श्रद्धालु का मोबाइल तो किसी का चश्मा और किसी के कानों के कुंडल तक यह बंदर पलक झपकते ले उड़ते हैं. इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को बड़ी मुश्किल होती है. यहां आए दिन बंदर किसी न किसी को अपना निशाना बनाते हैं. ऐसे में अपना ही सामान वापस पाने के लिए इन बंदरों को रिश्वत में एक फ्रूटी देनी होती है.
रिश्वत में जितनी करेंगी देरी, आपके सामान को उतना हो सकता है नुकसान
अगर आपने यह खबर पढ़ ली है कम से आप बंदरों से अपना बचाव करना जान गए हैं. पहले तो अपने चश्मे पर नजर रखें. अगर संभव हो तो उन इलाकों में चश्मा कुछ देर ना लगाएं जहां बंदर हैं. अगर मान लीजिए आप मथुरा जाते हैं और आपको यह खबर याद नहीं रहती है कि बंदरों से अपना बचाव करने पर ध्यान देना है. ऐसे में यदि बंदर आपका चश्मा या मोबाइल ले जाएं तो बिना देरी किए उन्हें फ्रूटी पकड़ाएं और अपना मोबाइल औऱ चश्मा वापस पाएं. आप ऐसा भी कर सकते हैं कि अपने पास 2-3 फ्रूटी हमेशा रखे रहें क्योंकि उनको फ्रूटी मिलने में जितनी ही देरी हुई सामान को वो उतना ही नुकसान पहुंचा सकते हैं.
वृंदावन के बंदरों के आक्रामक होने की सबसे बड़ी दो वजह निकल कर सामने आई हैं. सबसे बड़ी वजह बंदरों के आसियानों को उजाड़ना और बंदरों को बेघर करना है. बंदर बेघर हुए हैं. वृंदावन में कंक्रीट की इमारत बनी हैं तो बंदरों का खाना पानी सब तितर बितर हो गया है. पेड़ों क़ी हरियाली में बंदर रहकर आनंद प्राप्त करते थे. वहां लोगों की भीड़ देखकर यहां के बंदर डरे हुए हैं. सहमे हुए हैं. बंदर भूखे भी हैं. यह बंदर इस वजह से लोगों के सामान छीन कर ले जाते हैं. दूसरी वजह यह भी निकलकर सामने आई है कि माना जा रहा है कि इन बंदरों को कुछ खास मकसद से ट्रेंड कर छोड़ा गया है. उन्हें देखकर बाकी बंदर भी वही सीख गए हैं.
चश्मा और मोबाइल ही क्यों छीनते हैं ये बंदर
माना जा रहा है कि चश्मा और मोबाइल छीनना इनके लिए सबसे आसान है. बाकी चीजें लोग अपने हाथ में पकड़े रहते हैं या जेब में रखते हैं तो उन्हें निकालना या छीनना आसान नहीं है. लेकिन चश्मा और मोबाइल ऐसी चीज हैं जो इनके छपटते ही सीधे इनके हाथ में आ जाता है औऱ इंसान उन्हें तब तक संभाल ही नहीं पाता. ऐसे में ये बंदर इन दो चीजों पर ज्यादा छपट्टा मारते हैं.
2021 में 1,10,000 से अधिक थी बंदरों की आबादी
वन विभाग की बाबू पूनम से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि 3 साल में एक बार बंदरों का सर्वे किया जाता है. अलग-अलग जगह से यह सर्वे जिला वनाधिकारी कार्यालय पर आता है. लगभग 2021 में जब सर्वे किया गया था तब बंदरों की संख्या 1,10,000 से अधिक थी. अब सर्वे काफी समय से नहीं हुआ है तो बंदरों की संख्या ज्यादा हुई होगी. उन्होंने यह भी बताया कि बंदरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बंदर आक्रामक हो रहे हैं. लोगों की भीड़ अधिक आने के कारण यहां जगह-जगह मकान, बिल्डिंग औऱ दुकान आदि बनने से कंकरीट के मकानों से उनके आशियाने उजड़ गए हैं. यहां रहने में उन्हें दिक्कतें हो रही हैं. बंदर इधर-उधर खाना ढूंढते हैं. ऐसे में ये लोगों का सामान छीनकर उससे मिलने वाले खाने का सहारा लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2024, 22:18 IST