यूपी के मुजफ्फरनगर में लड़की बरामद करने को लेकर जाम लगाने और पुलिस पर फायरिंग करने के मामले में 18 आरोपियों को कोर्ट ने 31 साल बाद आठ-आठ साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी पर दस हजार का जुर्माना लगाया है। ट्रायल के दौरान नौ आरोपियों की मौत हो चुकी है। छपार पुलिस ने साल 1993 में आरोपियों के खिलाफ जानलेवा हमला व अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
डीजीसी राजीव शर्मा व एडीजीसी प्रदीप शर्मा ने बताया कि साल 1993 में छपार थाना क्षेत्र के गांव बरला से एक युवती का अपहरण हो गया था। युवती के बरामद न होने पर उसकी बरामदगी के लिए गत 20 मार्च 1993 को बरला गांव के सैकड़ों लोगों ने सड़क पर जाम लगा दिया था। तत्कालीन थाना प्रभारी पीसी शर्मा ने पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच कर जाम खुलवाने का प्रयास किया तो आक्रोशित भीड़ ने पुलिस पार्टी पर हमला करते हुए फायरिंग कर दी।
हमले में थाना प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। थाना प्रभारी की तरफ से 27 नामजद व सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ छपार थाने पर धारा 307 व अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजते हुए 27 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। एडीजीसी प्रदीप शर्मा ने बताया कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट-3 के न्यायाधीश कमलापति की कोर्ट में हुई। कोर्ट में अभियोजन की तरफ से सात गवाह पेश किए हैं। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सभी 18 आरोपियों को आठ-आठ साल की सजा व प्रत्येक पर 10 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। ट्रायल के दौरान नौ आरोपियों की मौत हो चुकी है।
इन आरोपियों को सजा
एडीजीसी प्रदीप शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने आरोपी सतीश कुमार, धर्मेन्द्र कुमार, तेलूराम, विजय कुमार, राजेश्वर त्यागी, सत्यदेव त्यागी, संत कुमार, गुलफाम, फैय्याज, कन्नू, ब्रजपाल, शमशाद, विपिन, बबलू, सुशील, इरफान, कल्लु व छोटा समस्त निवासी बरला थाना छपार को सजा सुनाई गई है।