संतान की सुरक्षा और सुखी जीवन के लिए रखा जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत इस बार 5 शुभ संयोग में है. अहोई अष्टमी 24 अक्टूबर गुरुवार को है. उस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, साध्य योग, अमृत सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का सुंदर संयोग बना है. गुरु पुष्य योग में आप सोना, मकान, वाहन आदि खरीद सकते हैं, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग में आपके किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. अहोई अष्टमी के दिन अहोई माता की पूजा करते हैं. उनकी कृपा से संतान सुरक्षित रहती है और उसका जीवन सुखमय होता है. यह व्रत सूर्योदय से लेकर तारों के निकलने तक रखा जाता है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं अहोई अष्टमी के पूजा मुहूर्त और व्रत नियम के बारे में.
अहोई अष्टमी व्रत के नियम
1. अहोई अष्टमी का व्रत विवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति और माताएं संतान की सुरक्षा के लिए रखती हैं. इस व्रत में अन्न, जल, फल आदि का सेवन नहीं करते हैं. इस वजह से यह निर्जला व्रत होता है.
2. अहोई अष्टमी का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर तारों के निकलने तक रखा जाता है. तारों को देखकर व्रत को पूरा करते हैं और पारण किया जाता है.
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3. इस व्रत में शाम को पूजा स्थान पर अहोई माता की 8 कोनों वाली एक पुतली बनाई जाती है. उसमें फिर रंग भरते हैं. उसके पास ही सेई या साही और उसके बच्चों के भी चित्र बनाते हैं.
4. यदि आप ये चित्र नहीं बना सकती हैं तो मार्केट से अहोई माता की तस्वीर लेकर पूजा स्थान पर रख सकती हैं.
5. अहोई माता को 8 पूड़ी, 8 मालपुएं, दूध, चावल का भोग लगाते हैं.
6. अहोई अष्टमी की कथा सुनते समय व्रती को गेहूं के 7 दाने रखने चाहिए. कथा सुनने के बाद उन गेहूं को अहोई माता के चरणों में अर्पित करते हैं.
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7. अहोई अष्टमी की पूजा के समापन पर चांदी के दो मोती एक धागे में पिरोकर व्रती को पहनना चाहिए. आप चाहें तो चांदी की जगह माती की माला भी पहन सकती हैं.
अहोई अष्टमी 2024 मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरूआत: 24 अक्टूबर, 1:18 एएम से
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि की समाप्ति: 25 अक्टूबर, 1:58 एएम पर
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त: 24 अक्टूबर, शाम 5:42 बजे से शाम 6:59 बजे तक
अहोई अष्टमी पर तारों को देखने का समय: शाम 6:06 बजे से
Tags: Dharma Aastha, Religion
FIRST PUBLISHED : October 22, 2024, 11:42 IST