पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बढ़ रहे बाघों के कुनबे के बीच अब पुराने बाघों का दबदबा कम होता जा रहा है। अपनी फुर्ती और शिकार करने की चपलता से नए उम्र के तीन बाघों का रुतबा बढ़ गया है। यह कोरी कल्पना नहीं बल्कि जमीनी रूप से सामने आई हकीकत है। इन बाघों के शारीरिक गठन को देखते हुए पीटीआर के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इनका नामकरण भी कर दिया है।
दरअसल, पिछले दिनों जब पीटीआर में जलाशयों और नहर पटरी के पास लगातार निगरानी में नए उम्र के बाघों की धमक देखी गई। डीएफओ का कहना है कि पीटीआर में घूमने वाले बाघों को यहां के गाइड और जिनान जिप्सी चालक उनके नाम से पहचानते हैं। किसी बाघ का नाम सुल्तान, किसी का बरही मेल तो किसी का नाम सीटू-सीथ्री रखा गया है। डीएफओ बताते हैं कि पहले यहां सीटू-सीथ्री नामक बाघ का दबदबा कायम था। बीते दिनों में बाघों के संघर्ष में ये दोनों बुजुर्ग बाघ बैकफुट पर चले गए। इसके बाद से बरही मेल ने नहर के आसपास कब्जा कर लिया। वहीं कुछ इलाकों में सुल्तान तो कुछ में त्रिशूल की मूवमेंट बढ़ गई है। ये बाघ नई उम्र के हैं। त्रिशूल और बरही मेल जहां अपनी फुर्ती के लिए जाने जा रहे हैं, वहीं त्रिशूल बाघ शिकार करने में काफी चपल है। डीएफओ का कहना है कि त्रिशूल बाघ के मस्तक पर त्रिशूल का छाप साफ दिखता है। इसलिए इसका यह नाम रखा गया है।
स्टार नाम की बाघिन भी है चर्चा में
जंगल में बाघों या वन्यजीवों का नाम रखना हालांकि वन्यजीव अधिनियम के अंतर्गत मुफीद नहीं है पर लोग अपनी पहचान के लिए यह करते हैं। चालक या गाइड आपस में बात करते हुए बता देते हैं कि त्रिशूल पानी पी रहा है या बरही का मूवमेंट है। इससे लोगों में भी उस बाघ के बारे में जानने की जिज्ञासा बढ़ती है। यही नहीं जंगल में एक स्टार नाम की बाघिन भी अपनी नई उम्र के कारण चर्चा में है।
बाघों को ट्रेस करने और पर्यटकों को जानकारी देने के लिए रखते हैं नाम
डीएफओ मनीष सिंह का कहना है कि जिन जगहों पर पहले पुराने बाघ देखे जाते थे, वहां अब नए बाघ दिखने लगे हैं। साथ ही नई उम्र की एक बाघिन भी दिख रही है। इन दिनों उसका मूवमेंट स्पॉट किया गया है। हालांकि नाम रखना नियमों के अंतर्गत नहीं है पर इन्हें ट्रेस करने और पर्यटकों को जानकारी देने के लिए पीटीआर के गाइड और वनकर्मी ऐसा करते हैं।