डॉक्टर वाकई भगवान होते हैं। मेरठ में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक महिला को जीवन दान देकर यह फिर से साबित कर दिया। सिर्फ एक नस के सहारे लटकी गर्दन को जोड़कर महिला की जान बचाई है।
डॉक्टर वाकई भगवान होते हैं। मेरठ में एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक महिला को जीवन दान देकर यह फिर से साबित कर दिया। सिर्फ एक नस के सहारे लटकी गर्दन को जोड़कर महिला की जान बचाई है। करीब तीन घंटे चली जटिल सर्जरी में डॉक्टरों ने अपना सारा हुनर लगा दिया। अब उसकी जान खतरे से बाहर है। उसकी आवाज भी बच गई।
परतापुर के काशी गांव में करीब आठ दिन पहले नजराना नाम की महिला की पड़ोसी युवक ने चाइनीज मांझे से गर्दन काट दी थी। सिर्फ एक नस के सहारे उसका सिर धड़ से जुड़ा था। सांस और खाने की नली भी कट गई थी। पुलिस ने उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। यहां नाक, कान-गला रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. निकुंज जैन ने तुरंत ऑपरेशन शुरू किया।
डॉ. निकुंज ने बताया कि सबसे पहले सांस के लिए गले के नीचे सांस नली में छेदकर नया रास्ता बनाया गया। उसके बाद खून और फिर खाने व सांस की नली को जोड़ा गया। पूरा ऑपरेशन तीन घंटे से अधिक समय तक चला। अब मरीज की हालत में काफी सुधार है। वह धीरे-धीरे बोल पा रही है।
लटकती नली के सहारे सांस लेती रही
डॉ. निकुंज ने बताया कि महिला की सांस नली कटकर गले के पास लटक रही थी। वह लटकती नली के सहारे सांस लेती रही। सांस के लिए नया रास्ता बनाया गया। खाने और खून की छोटी नसें भी कट चुकी थीं, लेकिन मुख्य नस बच गई थी। इसी कारण उसकी जान बची रही।
पहले खाने की नली को जोड़ा
डॉ. निकुंज ने बताया कि खाने की नली सांस नली के पीछे होती है, इसलिए पहले खाने की नली को जोड़ा गया। उसके बाद सांस नली को जोड़ा गया। अकेले गले में 70 से 80 टांके लगाए गए। ऑपरेशन में डॉ. निकुंज जैन के साथ डॉ. प्रंकुर, डॉ. रूपम और एनेस्थीसिया विभाग की टीम शामिल रही।