नई दिल्ली. नवरात्र के दौरान जो सबसे पहली तैयारी शुरु होती है वो है माता की लाल चुनरी की. कोई नवरात्र से दो महीने पहले ही ऑर्डर देकर चुनरी तैयार कराता है तो कोई व्रत से एक रात पहले बाज़ार जाकर अपनी हैसियत की चुनरी खरीद लाता है. कीमत बेशक अलग-अलग हों लेकिन श्रद्धा एक जैसी ही होती है. लेकिन क्या आपको पता है कि देश ही नहीं विदेशों में भी लाल चुनरी और माता रानी को पहनाई जाने वाली पोशाक यूपी के एक छोटे से शहर वृंदावन में तैयार होती हैं. यह छोटा सा शहर 5 रुपये से लेकर 20-25 हज़ार रुपये की कीमत वाली चुनरी तैयार करता है. अकेले नवरात्र में चुनरी और पोशाक का करोड़ों रुपये का कारोबार है.
जन्माष्टमी के बाद से बनने लगती हैं लाल चुनरी
लाल चुनरी और माता रानी की पोशाक तैयार करने में वृंदावन सबसे आगे है. देवी-देवताओं से जुड़ी हर तरह की पोशाक यहां तैयार होती हैं. यहां की बनी पोशाक देशभर में तो सप्लाई होती ही हैं, साथ विदेशों में भी जाती हैं. पोशाक और चुनरी के काम से जुड़े अवधेश बताते हैं कि जन्माष्टमी के फौरन बाद ही कारखानों में लाल चुनरी, लहंगा, पट्टका आदि दूसरी पोशाक तैयार होने लगती हैं. इस दौरान तैयार होने वाली चुनरी की बात करें तो 60 रुपये दर्जन के हिसाब से लेकर 2 हज़ार रुपये तक की कीमत वाली चुनरियां तैयार की जाती हैं.
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वृंदावन के घर-घर में चुनरी और पोशाक से जुड़ा काम होता है
1.5 से 2 मीटर तक की लम्बाई वाली चुनरी की डिमांड ज़्यादा होती है. इसके बाद 40-50 रुपये वाली पोशाक से लेकर एक हज़ार रुपये तक वाली पोशाक बनती हैं. सबसे पहले दूर-दूर के ऑर्डर पूरे किए जाते हैं. उसके बाद आसपास के शहर और राज्यों को माल भेजा जाता है. भरपूर ऑर्डर के चलते कारखानों में ही नहीं वृंदावन के घर-घर में चुनरी और पोशाक से जुड़ा काम होता है.
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कारोबारी ही नहीं भक्त भी आते हैं ऑर्डर देने
पोशाक के कारोबारी राम नरेश का कहना है कि नवरात्र के लिए कारोबारियों के ऑर्डर तो जन्माष्टमी के ऑर्डर पूरा होते ही आने लगते हैं. लेकिन नवरात्र के एक और दो महीने पहले से ही सीधे भक्तों के ऑर्डर भी आने लगते हैं. यह वो लोग होते हैं जो अपनी श्रद्धा अनुसार 5 से लेकर 25 रुपये की कीमत वाली चुनरी और 50-50 हज़ार रुपये तक की पोशाक तैयार कराते हैं. यह ऑर्डर देश के बड़े मंदिरों समेत घरों में बने मंदिरों में रखी माता रानी की मूर्तियों के लिए होते हैं. असल में ऐसे ऑर्डर में कपड़ा उतना मायने नहीं रखता जितना पोशाक और चुनरी पर होने वाला हैंडवर्क अहमियत रखता है.
Tags: Navratri Celebration
FIRST PUBLISHED : October 19, 2020, 12:15 IST