नई दिल्ली. सूखी मेवा (Dry Fruits) हो या मसाले, रेट के मामले में दोनों के बीच केसर (Saffron) का दर्जा हमेशा से ऊपर रहा है. मसालों और मेवा में केसर ही है जो लाखों रुपये किलो के हिसाब से बिकती है और अगर उसके दाम भी इतने गिर जाएं कि कारोबारी सकते में आ जाएं तो चौंकना लाज़मी है. दिवाली और नई फसल (New Crop) आने से पहले ही केसर के दाम हज़ारों रुपये किलो तक कम हो गए हैं. बाज़ार (Market) में नई केसर आने की तैयारी शुरू हो गई है. इस हिसाब से अभी केसर के दाम (Rate) और कम होने की उम्मीद है.
50 हज़ार रुपये किलो तक कम हुए केसर के दाम- नूरी मसालों और ड्राई फ्रूट के कारोबारी मोहम्मद आज़म बताते हैं, 370 हटने के बाद से कश्मीर के हालात किसी से छिपे नहीं हैं. हर तरह का कारोबार कश्मीर से बंद हो गया. केसर की सप्लाई पर भी असर पड़ा. फिर फरवरी से कोरोना और मार्च से लॉकडाउन का असर शुरू हो गया. नतीजा यह हुआ कि अभी पहले का माल निकला नहीं है और अब कुछ दिन बाद ही नई फसल आ जाएगी.
यह भी पढ़ें- क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की तरह आप भी कर सकते हो सबसे महंगे अंडे का बिजनेस, जानिए सबकुछ
लॉकडाउन से पहले सबसे ज़्यादा बिकने वाली सामान्य वैराइटी की केसर 200 रुपये प्रति ग्राम तक बिक रही थी. लेकिन अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब से बाज़ार खुला है तो इसके दाम गिरकर 150 रुपये प्रति ग्राम तक आ गए हैं. वैसे बाज़ार में 5 लाख रुपये किलो तक की केसर मौजूद है.
कश्मीर के 200 गांव में होती है केसर- भारत में केसर को कई नामों से जाना जाता है. कहीं जाफरान तो कहीं सैफ्रॉन कहा जाता है. भारत में केसर की खेती जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़, बडगांव, श्रीनगर और पंपोर में होती है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी केसर की खेती शुरू हुई है.
दुनिया में केसर की कीमत इसकी क्वालिटी पर लगाया जाता है. दुनिया के बाजारों में कश्मीरी केसर की कीमत 5 लाख रुपये प्रति किलोग्राम तक है. केसर के पौधों में अक्टूबर के पहले सप्ताह में फूल लगाने शुरू हो जाते हैं और नवंबर में यह तैयार हो जाता है. केसर की पैदावार में ईरान के बाद कश्मीर का दूसरा नंबर है.
Tags: Article 370, Dry Fruits Rate, Jammu kashmir news
FIRST PUBLISHED : November 14, 2020, 08:47 IST