रिपोर्ट- अंकुर सैनी
सहारनपुर: अगर आप भी डिप्रेशन में हैं और आपको आत्महत्या करने के विचार आ रहे हैं तो घबराएं नही. अब सहारनपुर में भी इसका इलाज संभव हो गया है. सहारनपुर के शेखुल हिंद मौलाना महमूद हसन मेडिकल कॉलेज में डिप्रेशन और आत्महत्या करने की सोचने वाले लोगों का इलाज संभव हो गया है. यह इलाज ईसीटी थेरेपी के जरिए किया जाता है. आपको बता दें कि ईसीटी एक विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा (Electroconvulsive therapy/ECT) की एक मानक विधि है. सामान्यतः इसे ‘आघात चिकित्सा’ या आम भाषा में ‘बिजली के झटके’ कहा जाता है.
यह एक ध्रुवीय अवसाद का एक जैविक उपचार है जिसमें रोगी के सिर से इलेक्ट्रोड जोड़कर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके मष्तिष्क तक पहुंचाई जाती है. यह अवसाद के ऐसे गंभीर रोगियों पर प्रभावी होती है जिन पर औषधि-चिकित्सा असफल हो जाती है. ऐसे मरीज जो अवसाद ग्रस्त हों और इस कदर की वो ‘आत्महत्या’ की बात सोंचे या करें, उनमें भी ईसीटी थेरेपी बहुत जल्द असर दिखाती है. पहले मरीज को एनेस्थीसिया देकर आधी बेहोशी की हालत में लाया जाता है. इसके बाद मशीन के जरिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें छोड़कर तंतुओं को डिस्चार्ज किया जाता है.
डिप्रेशन में आत्महत्या का विचार प्रभावी होने पर की जाती है ईसीटी थेरेपी
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान तिवारी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि ये थेरेपी मुख्यतः डिप्रेशन के दौरान आत्महत्या का विचार प्रभावी होने के कारण की जाती है. हाल ही में राजकीय मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग में ECT थेरेपी से डिप्रेशन के शिकार एक मरीज का इलाज किया गया.
डॉ अंशुमान बताते हैं कि ईसीटी एक मशीन है, जिससे मरीज के दिमाग में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिस्चार्ज किया जाता है. इसके लिए पहले मरीज को एनेस्थीसिया देकर अर्ध बेहोशी की हालत में लाया जाता है. इसके बाद मशीन के माध्यम से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें छोड़कर तंतुओं को डिस्चार्ज किया जाता है. इस ईसीटी थेरेपी से पहले मरीज को काफी सारे टेस्ट कराने होते हैं. ईसीटी थेरेपी कराने के बाद 15 दिन तक मरीज को अस्पताल में ही एडमिट रखा जाता है. इस दौरान मरीजों को कुछ दवाइयां भी दी जाती हैं.
इस प्रकार दिखाई देते हैं लक्षण
मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशुमान तिवारी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि जो अवसाद के लक्षण होते हैं उसमें मन का उदास रहना, नींद नहीं आना, आत्महत्या के ख्याल आना, अपने आप को बेकार समझना, नींद में गड़बड़ होना, टेंशन में आकर गुस्सा आना, व्यक्ति के अंदर चिड़चिड़ापन, कानों में आवाजें आना, शक-वहम करना, बड़ी-बड़ी बातें करना और अपने से बड़ा किसी को नहीं समझना आदि तरह के लक्षण होते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 11:35 IST