बसपा सरकार में हुए स्मारक घोटाले में ईडी रिटायर आईएएस मोहिन्दर सिंह, एलडीए के पूर्व उपाध्यक्ष हरभजन सिंह से पूछताछ कर चुकी है। मोहिन्दर चार नोटिस के बाद ईडी दफ्तर में बयान देने आए थे।
स्मारक घोटाले में पूर्व खनन निदेशक रामबोध मौर्य भी शुक्रवार को ईडी अफसरों के सामने पेश हुए। ईडी ने आठ घंटे की पूछताछ में रामबोध को उलझाए रखा। किन नेताओं के दबाव में उन्होंने कई ठेकदारों को मनमाफिक पट्टे बांटे…। पत्थरों की खरीद-फरोख्त में किसका दबाव ज्यादा चला। उनके काम में कौन मंत्री और अफसर दबाव डालते थे…। ऐसे कई सवालों में कुछ के ही जवाब दिए और कुछ पर चुप्पी साध ली। ईडी ने स्मारक घोटाले के समय तैनात रहे दूसरे विभागों के अफसरों की भूमिका के बारे में भी पूछा। इस पर रामबोध मौर्य ने कोई भी जानकारी होने से इनकार किया।
बसपा सरकार में हुए स्मारक घोटाले में ईडी रिटायर आईएएस मोहिन्दर सिंह, एलडीए के पूर्व उपाध्यक्ष हरभजन सिंह से पूछताछ कर चुकी है। मोहिन्दर चार नोटिस के बाद ईडी दफ्तर में बयान देने आए थे। रामबोध मौर्य गुरुवार को ईडी के बुलाने पर नहीं पहुंचे थे। शुक्रवार दोपहर वह ईडी दफ्तर पहुंचे। यहां तीन अफसरों ने उनसे पूछताछ शुरू की।
कितने पट्टे बांटे गए थे
ईडी ने पूछा कि स्मारकों में पत्थर भिजवाने के लिए कितने ठेकेदार से सम्पर्क किया गया था। कंसोर्टियम बनाकर कितनों को पहले चरण में खनन का पट्टा दिया गया। ठेकेदारों को पट्टा देने में किन-किन नेता व अफसरों ने दबाव डाला था। इस पर रामबोध ने जवाब दिया कि उस समय कंसोर्टियम बनने पर नियमों के तहत ही पट्टा दिया गया था। इस पर ईडी ने कुछ फाइलें रख दी और कहा कि इसमें खनन लेने वाले कई ठेकेदारों ने पहली बार कंपनी बनाई थी। इन्हें किन परिस्थितियों में कई करोड़ों का पट्टा कैसे दे दिया गया। इस पर वह ज्यादा नहीं बोले।
किन-किन अफसरों की भूमिका रही घोटाले में
ईडी ने रामबोध मौर्य से यह भी जानने की कोशिश की कि संबंधित विभागों के किन-किन अफसरों की भूमिका घोटाले में रही। लखनऊ से लेकर राजस्थान तक अचानक इतने ठेकेदार कैसे हो गई। कितने ठेकेदारों ने नई कम्पनियां बनाई थी…। इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कब और किस पते पर हुआ…इस बारे में ईडी ने पहले से ही ब्योरा तैयार कर रखा है।
ये सवाल भी पूछे
– कंसोर्टियम कैसे बनाया
– कहां से खरीदफरोख्त हुई पत्थरों की
– किसका दबाव लगातार बना रहा