आगरा में फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप की खुदकुशी की वजह राज बनकर ही रह गई। पत्नी कैप्टन रेनू तंवर ने पति की मौत की खबर पर खुदकुशी की थी। मरकर भी जिंदगी के आखिरी सफर में वह पति के साथ नहीं जा सकीं। परिजन उनका शव राजस्थान ले गए।
आगरा में फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप की खुदकुशी की वजह राज बनकर ही रह गई। पत्नी कैप्टन रेनू तंवर ने पति की मौत की खबर पर खुदकुशी की थी। मरकर भी जिंदगी के आखिरी सफर में वह पति के साथ नहीं जा सकीं। परिजन उनका शव राजस्थान ले गए। वहीं, फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप के शव का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ ताजगंज श्मशान घाट पर हुआ। कोलकाता से उनके दोनों भाई और माता-पिता आए थे। छोटे भाई प्रियेश दीप ने मुखाग्नि दी।
गांव मोरारा बिहार शरीफ नालंदा निवासी फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप आगरा में तैनात थे। मंगलवार की सुबह उनका शव वायुसेना परिसर स्थित आवास में फंदे पर लटका मिला था। उनकी खुदकुशी की जानकारी परिजनों और पत्नी कैप्टन रेनू तंवर को दी गई। कैप्टन रेनू तंवर दिल्ली में अपनी मां का इलाज कराने गई थीं। पति की मौत का उन्हें गहरा सदमा लगा। गैराता ऑफीसर्स गेस्ट हाउस में उन्होंने भी फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। दिल्ली पुलिस ने कमरे का दरवाजा तोड़कर शव फंदे से उतारा था।
कैप्टन रेनू तंवर का शव बुधवार को आगरा लाया गया। परिजन उनका शव राजस्थान ले गए। वह मूलत झुंझनू (राजस्थान) की निवासी थीं। दीनदयाल दीप और रेनू ने दिसंबर 2022 में लव मैरिज की थी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट दीनदयाल दीप के पिता उदय प्रसाद पूर्व फौजी हैं। वर्तमान में कोलकाता में रेलवे पुलिस फोर्स में तैनात हैं। इस वजह से माता-पिता और दोनों भाई कोलकाता से आगरा आए थे।
माता-पिता ने सपने में नहीं सोचा था कि बेटे को इस तरह आखिरी विदाई देने आना पड़ेगा। फ्लाइट लेफ्टिनेंट ने ऐसा क्यों किया। यह सवाल पुलिस को भी परेशान कर रहा है। पुलिस के अनुसार पांच दिन पहले फ्लाइट लेफ्टिनेंट ने अपने पिता से फोन पर बात की थी। एक दिन पहले अपनी मां किरन देवी से बातचीत की थी। माता-पिता खुद हैरान हैं कि बेटे ने ऐसा क्यों किया। बेटे ने किसी परेशानी का जिक्र तक माता-पिता से नहीं किया था। फ्लाइट लेफ्टिनेंट की आगरा में यह दूसरी तैनाती थी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट का अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया।
पायलट बनने का सपना देख बड़े हुए थे
दीनदयाल दीप को बचपन से ही हवाई जहाज की आवाज आकर्षित करती थी। जब भी आसमान से कोई जहाज गुजरता वह उसकी आवाज सुनकर घर से बाहर आ जाते थे। माता-पिता से यही कहते थे कि एक दिन उनका बेटा भी इसी तरह आसमान में जहाज उड़ाएगा। दीनदयाल दीप होनहार थे। पायलट बनने के सपने के साथ बड़े हुए। अपने सपने को अंजाम तक पहुंचाया। कड़ा परिश्रम किया। नौवीं कक्षा में नालंदा सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया। बारहवीं के बाद वर्ष 2014 में उनका एनडीए में चयन हुआ था। पांच साल प्रशिक्षण लिया उसके बाद पहली तैनाती जोराहाट (असोम) में मिली।