पराली जलाने के मामले में अलीगढ़ मंडल में 128 मामले मामले प्रकाश में आए हैं। इसमें अलीगढ़ पहले स्थान पर है। यहां 114 मामलों में विभाग ने कार्रवाई करते हुए 52500 रुपये का जुर्माना वसूला है। बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में तेजी आई है।
पराली जलाने के मामले में अलीगढ़ मंडल में 128 मामले मामले प्रकाश में आए हैं। इसमें अलीगढ़ पहले स्थान पर है। यहां 114 मामलों में विभाग ने कार्रवाई करते हुए 52500 रुपये का जुर्माना वसूला है। बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष पराली जलाने के मामलों में तेजी आई है। मंडल की स्थिति देखें तो एटा में 4, कासगंज में 1 और हाथरस में 9 ही मामले संज्ञान में आए हैं। जुर्माना वसूलने के मामले में हाथरस दूसरे नंबर है। यहां किसानों से 7500 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया गया है। इसके अलावा एटा में 5 हजार व कासगंज में 2500 रुपये की वसूली हुई है। कृषि विभाग की ओर से पराली पराली प्रबंधन पर जोर दिया जा रहा है। अवशेष को जलाने से निकलने वाली गैस और उससे होने वाली बीमारियों के प्रति सजग किया जा रहा है।
विभाग ने सितम्बर माह से पराली जलाने वालों पर कार्रवाई शुरु की है। सेटेलाइट के माध्यम से मिलने वाली रिपोर्ट के आधार पर मौके जाकर जांच की गई। राजस्व विभाग की टीम ने मंडल में गांव-गांव जाकर निरीक्षण किया। धुएं का गुबार देख टीम मौके पर पहुंची तो वहां लोग फसल अवशेष जलाते मिले। टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पराली जलाने वालों पर जुर्माना लगाया। उप कृषि निदेशक यशराज सिंह ने बुधवार को खैर क्षेत्र में टीम के साथ भ्रमण किया। उन्होने किसानों से अपील की गई है कि फसल काटने के बाद पराली के अवशेष में आग न लगाएं। इसे सड़ा कर या मिट्टी में मिलाकर खाद बनाएं और पर्यावरण को बचाएं। उनको फसल अवशेष प्रबंधन के उपाए बताए जा रहे हैं। इससे होने वाले नुकसानों के प्रति सजग किया जा रहा है। साथ ही इसे जलाने पर लगने वाले जुर्माने की भी जानकारी दी गई।
पराली जलाने पर इतना लगेगा जुर्माना
– दो एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए 2500 रुपये प्रति घटना
– दो से पांच एकड़ क्षेत्रफल के लिए 5000 रुपये प्रति घटना
– पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 15000 रुपये प्रति घटना
उप कृषि निदेशक, यशराज सिंह ने बताया कि फसल अवशेष जलाने पर विभिन्न रासायनिक गैस निकलती है, जो स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक हैं। इससे कई तरह की दिक्कतें हो सकती है। पराली जलाने वालों के विरुद्ध लगातार जुर्माना लगाए जाने की कार्रवाई की जा रही है। कृषकों से ऐसा न करने की अपील की जा रही है। साथ ही उन्हें पराली से खाद बनाने के लिए भी जागरूक भी किया जा रहा है।
पराली (फसल अवशेष) प्रबंधन
– 200 ली. पानी में 2 किग्रा. गुड़ व एक डिब्बी वेस्ट डिकम्पोजर मिला लें, सात दिनों बाद इसे एक एकड़ में स्प्रे करने से 20 से 25 दिनों में पराली सड़कर खाद बन जाएगी।
– पराली को नजदीकी गौशाला में दान कर सकते हैं। पराली को मशरूम उत्पादन, मुर्गी व पशुपालन (चारा) में उपयोग कर सकते हैं।
– बेलर मशीन का प्रयोग करके पराली प्रबंधन हेतु यंत्रों जैसे मल्वर, एमबी प्लाऊ, सुपर सीडर, बेलर, पेडी स्ट्रा चापर को क्रय करने पर 50 प्रतिशत तथा फार्म मशीनरी बैंक पर 80 प्रतिशत अनुदान अनुमन्य है।
– किसान इन यंत्रों को फार्म मशीनरी बैंक व कस्टम हायरिंग सेंटर से किराये पर ले सकते हैं।