जौनपुर की मुस्लिम महिलाओं के हुनर से गंगा और सरयू के घाट चमकेंगे। जौनपुर के जलालपुर में दो दर्जन महिलाएं मोम के दीये बनाने में जुटीं हैं। दिवाली के दिन अयोध्या और काशी के घाटों पर विशेष तरह के दीपक टिमटमाएंगे।
प्रकाश पर्व दिवाली पर जौनपुर की मुस्लिम महिलाओं के हाथों से तैयार दीये से काशी और अयोध्या के घाट टिमटिमाएंगे। गंगा और सरयू नदी के किनारे सजने वाले इन दीयों को स्वयं सहायता समूह की महिलाएं तैयार करने में जुटी हैं। जौनपुर से करीब दस हजार दीये बनाकर भेजने की तैयारी है। पांच विशेष रंग और पांच विशेष तरीकों से तैयार होने वाले इन दीयों को बनाने का जिम्मा जलालपुर के मिल्की स्वयं सहायता समूह को मिली है। समूह की अध्यक्ष जाफरून एजाज के नेतृत्व में महिलाएं दीये तैयार कर रही हैं। वैसे तो यहां के ग्राम संगठन में करीब 120 महिलाएं हैं, लेकिन मिल्की समूह की 12 महिलाओं का विशेष योगदान है। इसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदाय की महिलाएं हैं।
मोम की सहायता से तैयार होने वाले ये दीये पांच रंग हरा, गोल्डेन, सिल्वर, गुलाबी और नारंगी रंग के होते हैं। इनमें दो कोट में पेंटिंग होती है, ताकि पानी पड़ने पर रंग जल्दी छूटने न पाए। ये दीये सामान्य से अलग होते हैं। तेल या घी से नहीं बल्कि मोम की मदद से जलते हैं। बाजार में या कुम्हारों के यहां मिलने वाले मिट्टी के दीये को समूह की महिलाएं पहले सफेद रंग से रंगती हैं। उसके बाद उसपर दूसरा कलर यानी जिस रंग में बनाना होता है उस रंग में करती हैं। फिर सुखाती हैं और सुखाकर मोम और बाती डाली जाती है। उसे पुन: सुखाकर जमाया जाता है। एक दिया करीब एक घंटे से अधिक समय तक जलता है। इसमें तेल भरने या तेल गिरने की संभावना बिल्कुल नहीं होती।
120 परिवारों की जुड़ी है आजीविका
सहयोग महिला प्रेरणा संगठन में कुल 120 महिलाएं जुड़ी हैं। यानी 120 परिवारों की इससे आजीविका चलती है। जाफरून आजाद बताती हैं कि समूह की कुछ महिलाएं मिट्टी का दीया तैयार करती हैं। उनसे दीया लेकर उसे अपने मिल्की समूह के जरिए नया रूप और विशेष बनाया जाता है। बताती हैं कि एक दीया बनाने में करीब पांच रुपये का खर्च आता है। उसे थोक में छह से सात रुपये और खुले बाजार में 10 रुपये का एक बेचा जाता है। निश्चित तौर पर इससे महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।
राजभवन और मुंबई तक भेज चुकी हैं दीया
समूह की महिलाएं करीब तीन साल से इस तरह के दीये बना रही हैं। उनकी मानें तो मुंबई से आर्डर मिलने पर वहां कई बार दीये भेजे जा चुके हैं। पिछले साल राजभवन भी कुछ दीये भेजे गए थे। इसके साथ ही वाराणसी, मथुरा आदि शहरों में भी इसकी उिमांड है। अभी अमेरिका को सैंपल भेजा गया है। आर्डर कन्फर्म होने के बाद निर्यात होंगे।
जिला प्रबंधक-एनआरएलएम, शोभी गौर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अयोध्या और काशी में दीपावली के मौके पर दीपदान के लिए जिले से भी दीये भेजे जाएंगे। इसके लिए मिल्की समूह दीया तैयार कर रहा है। करीब दस हजार दीये भेजने की तैयारी है।