बहराइच के महराजगंज इलाके में हुई हिंसा मामले में एक और एक्शन हुआ है। एसएचओ और चौकी प्रभारी के बाद बुधवार को महसी सीओ रुपेंद्र गौंड को भी सस्पेंड कर दिया गया है। इन पर मूर्ति विसर्जन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही का आरोप लगा है। जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन ने यह कार्रवाई की है। रामपुर में तैनात सीओ रवि खोकर को महसी की कमान सौंपी गई है, जो ड्यूटी संभाल चुके हैं। हिंसा मामले में सीओ सहित अब तक तीन पुलिस कर्मी सस्पेंड हो चुके हैं।
हरदी थाना क्षेत्र की 18 मुर्तियों को बड़ी गौरिया घाट में विसर्जित किया जाना था। यह सभी मूर्तियां महराजगंज कस्बे से होकर जा रही थी। मूर्ति विसर्जन जुलूस को सकुशल घाट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी महसी सीओ रुपेंद्र गौंड को सौंपी गई थी। सुरक्षा के मद्देनजर एक कंपनी पीएसी भी दी गई थी, लेकिन जिस समय रामगोपाल को गोली मारी गई और उसके बाद भड़की हिंसा के समय तक सीओ मौके पर मौजूद नहीं थे, जबकि एसएचओ सुरेश कुमार वर्मा व चौकी प्रभारी भी उपद्रव रोकने में नाकाम रहे। जिससे हिंसा की भड़की आग ने रौद्र रूप लिया।
लापरवाही मामले में 13 अक्टूबर को देर रात ही एसपी वृंदा शुक्ला ने लापरवाही बरतने पर एसएचओ व चौकी प्रभारी को निलंबित कर दिया था। सीओ रुपेंद्र गौंड की रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। कड़ा संज्ञान लेते हुए सीओ को भी निलंबित कर दिया गया है। इस तरह हरदी थाना क्षेत्र व सर्किल के तीन पुलिस कर्मी हिंसा में निलंबित हो चुके हैं।
तो सीओ को झिंगहाघाट पर किसने भेजा था?
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिस दिन मूर्ति विसर्जन होना था, उस दिन रविवार को सीओ को झिंगहाघाट पर सुरक्षा की कमान सौंपी गई थी, जिससे वह घटना के समय महराजगंज कस्बे में नहीं थे। घटना के बाद उच्चाधिकारियों के समक्ष उनका नाम आगे करने पर वह सख्त आपत्ति जताई थी। लिहाजा उन पर कार्रवाई कर दी गई है।