ताजमहल को चांदनी रात में देखने के लिए पर्यटकों ने शरद पूर्णिमा के दिन सभी स्लॉट बुक कर लिए हैं। ताज बंदी के कारण चार दिन तक रात में ताज देखने के लिए 1,600 पर्यटकों ने बुकिंग कराई है।
शरद पूर्णिमा को लेकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पूर्णिमा की तिथि बुधवार, 16 अक्तूबर को रात 8 40 बजे प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 17 अक्तूबर को शाम 4 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि यह तिथि 16 और 17 अक्तूबर दोनों दिन पड़ रही है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। वर्षभर की 12 पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है। पंडित सुभाष शास्त्री के अनुसार, शरद पूर्णिमा को कोजागर व्रत, रास पूर्णिमा, कौमुदी व्रत और कुमार पूर्णिमा जैसे नामों से भी जाना जाता है।
16 अक्तूबर को पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ रात लगभग 8.40 पर होगा, जबकि समापन 17 अक्तूबर शाम 4.50 पर होगा। ज्योतिषाचार्य पूनम वार्ष्णेय का कहना है कि पूजा 16 अक्तूबर को होगी, क्योंकि तिथि संध्या काल के बाद लग रही है और इसे उदया तिथि नहीं माना जा सकता। इस दिन महारास निधिवन का आयोजन 17 अक्तूबर को होगा।
मंदिरों में होंगे आयोजन
प्रेमनिधि मंदिर, मथुराधीश मंदिर और वजीरपुरा मंदिर में 16 अक्तूबर को विशेष आयोजन होंगे। इसके साथ ही अन्य मंदिरों में भी दोनों दिन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस तरह, शरद पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए भव्य आयोजन होने जा रहे हैं।
चार दिन में 1600 पर्यटक रात में निहारेंगे चमकी
ताजमहल को चांदनी रात में देखने के लिए पर्यटकों ने शरद पूर्णिमा के दिन सभी स्लॉट बुक कर लिए हैं। ताज बंदी के कारण चार दिन तक रात में ताज देखने के लिए 1,600 पर्यटकों ने बुकिंग कराई है। 19 अक्तूबर तक सभी स्लॉट भरे हुए हैं। मंगलवार को पहले दिन 400 सैलानियों ने रात में ताज का दीदार किया, लेकिन उन्हें रात साढ़े नौ बजे के बाद ही ताज साफ नजर आया।
ताजमहल को रात में देखने के लिए आधा-आधा घंटे के आठ स्लॉट बनाए गए हैं, जिनमें हर स्लॉट में 50 पर्यटकों को जाने की अनुमति होती है। इस बार शरद पूर्णिमा 17 अक्तूबर को है। इसके अनुसार, 15, 16, 17 और 19 अक्तूबर को चांद का दीदार किया जा सकता है, जबकि 18 अक्तूबर को ताजमहल बंद रहेगा।
मौसम विभाग के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चांद धुंधला दिखाई देगा। शरद पूर्णिमा पर ताजमहल हीरे की तरह चमकता है। पहले जब ताज रात में खुलता था, तो लाखों पर्यटक इसे देखने आते थे, जिसे लक्खी मेला कहा जाता था। रात में चांद की रोशनी में ताज की चोटी के पास जड़े पत्थर चमक उठते थे। अब प्रत्येक पूर्णिमा के दो दिन पहले और दो दिन बाद ताजमहल का दीदार करने की अनुमति है।