Alia Bhatt ADHD: आलिया भट्ट ने हाल ही में इस बात को दुनिया के सामने बताया है कि उसे एटेंशन डिफिसीट हाइपएक्टिविटी डिसॉर्डर (ADHD) नाम की बीमारी थी. आलिया भट्ट ने बताया कि बचपन से ही उन्हें एडीएचडी की बीमारी थी लेकिन उसे इस बात का पता हाल ही में लगा है जिसके बाद उन्होंने इसका इलाज कराया है. आलिया ने कहा कि बचपन में सारे दोस्त जब साथ में बात कर रहे होते थे तो अक्सर मुझे टोका करते थे कि तुम्हारा ध्यान किधर है. अक्सर वह खोई रहती थी और जिस चीज की चर्चा होती थी उसके बारे में कुछ पता ही नहीं होता था. आखिर क्या है आलिया भट्ट वाली बीमारी एडीएचडी की बीमारी. दरअसल, एडीएचडी बीमारी न होकर एक न्यूरोलॉजिकल विकार होता है. सामान्य तौर पर यह बच्चों में पाया जाता है लेकिन बड़ों में भी यह हो सकता है. कुछ बच्चों में यह ठीक नहीं होता और यही बीमारी बड़ों तक जारी रहता है. आलिया भट्ट इसी तरह की स्थिति से जूझ रही थी. अब सवाल यह है कि यदि आपको यह बीमारी हो जाए तो इसका पता कैसे लगाएंगे.
क्या है एडीएचडी
जैसा कि इस बीमारी के नाम से ही पता चलता है कि इसमें क्या-क्या दिक्कतें है. अटेंशन डिफिसीट का मतलब होता है किसी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना.यह नसों से संबंधि विकार है जो अक्सर बच्चों में पाया जाता है, लेकिन यह वयस्कों में भी जारी रह सकता है.इसमें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, अति सक्रियता और इंप्लसिव विहेवियर यानी तुरंत में किसी भी बात पर आवेग में आ जाना जैसी परेशानियां होती है. यहां इसके कुछ संकेत बताए जा रहे हैं.
कैसे पहचानें कि एडीएचडी है Symptoms of ADHD
- मायो क्लिनिक के मुताबिक इस बीमारी इंप्लसिव नेचर पहला लक्षण है. यानी अगर किसी को एडीएचडी है तो वह बहुत ज्यादा आवेग में रहता है. किसी भी बात पर बिना वजह गुस्सा आ जाता है और छोटी सी छोटी बातों पर अति सक्रियता या अति जोश दिखाने लगता है.
- ऐसे व्यक्ति अव्यवस्थित रहता है और किसी चीज को प्राथमिकता में रखने की उसकी आदत नहीं होती है. हर बात पर वह अनमनयस्क रहता है.
- ऐसे व्यक्ति समय का ठीक से प्रबंधन नहीं कर पाता है. कभी समय से पहले कुछ कर लेता तो कभी समय के बाद भी कुछ नियत काम उससे हो नहीं पाता है.
- किसी भी काम पर फोकस करने में बहुत दिक्कत होती है. अगर आप उसे कुछ काम दीजिए तो वह उस पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएगा. एकाग्रता लाने में उसे बहुत दिक्कत होती है.
- अगर आप उसे कई तरह के काम एक साथ दे दें तो वह नहीं कर पाएगा. मसलन अगर उसे एक ही साथ ग्रोसरी भी खरीदनी है और लॉन्ड्री से कपड़ा भी लाना है और किसी से मिलना भी है तो इसे वह नहीं कर पाएगा.
- ऐसे व्यक्ति की प्लानिंग बहुत गड़बड़ होती है. वह ऐसा काम करने में असमर्थ रहता है. इसलिए उसका दिनचर्या बहुत अस्त-व्यस्त होता है.
- ऐसे व्यक्ति हमेशा बेचैन रहता है. न वह एक जगह कुछ देर बैठ सकता है न ही वह एक जगह कहीं खड़ा रह सकता है. वह बहुत ज्यादा अतिसक्रिय रहता है.
- ऐसे व्यक्तियों का मूड पल-पल बदलता रहता है. कब उसका मूड स्विंग कर जाएगा वह खुद भी नहीं जानता है. फ्रस्टेशन को वह बर्दाश्त नहीं कर पाता है.
- आसपास क्या हो रहा है इससे बेखबर रहता है. यहां तक कि अगर वह अन्य दोस्तों के साथ है और बातचीत चल रही है तो इस पर उसका ध्यान नहीं रहता है.
- वे बहुत जल्दी थक जाते हैं और अक्सर शारीरिक गतिविधियों में लगे रहते हैं. वे बिना सोचे-समझे निर्णय लेते हैं और अक्सर अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाते. बिना सोचे-समझे कुछ भी बोलना या बिना विचारे काम करना उसकी आदतों में शुमार रहता है.
- कोई भी काम ढंग से नहीं कर पाता है. हर काम को अधूरा छोड़ देता है. जो करता है उसे भी सही से नहीं करता.
- बात-बात पर गुस्सा आ जाता है. गुस्से पर वह काबू नहीं कर पाता है. ऐसे व्यक्ति अक्सर तनाव में रहता है.
कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास
हर व्यक्ति में अलग-अलग तरह से इसके लक्षण दिख सकते हैं. यदि आपको बचपन में ऐसा था या कुछ लक्षण थे और अब नहीं है तो आपको एडीएचडी नहीं है. चिंता करने की बात नहीं है. लेकिन यदि आपको इनमें से कई लक्षण गंभीर है तो आपको अब भी एडीएचडी है. यानी आपको तुरंत डॉक्टर से दिखाने की जरूरत है. यह बीमारी ठीक होने वाली है.
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FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 16:59 IST