Pocso Act: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि पॉक्सो एक्ट के तहत पीड़िता की उम्र का निर्धारण करने वाले डॉक्टरों को बकायदा इसकी ट्रेनिंग दी जाए। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में बिना कोई निष्कर्ष और कारण बताए यांत्रिक तरीके से पीड़िता की उम्र दर्ज की जाती है जबकि पीड़िता की उम्र निर्धारित करने के लिए अपनाए गए चिकित्सा मापदंडों या वैज्ञानिक मानदंडों के आधार पर निष्कर्ष दर्ज करना आवश्यक होता है। पॉक्सो मामले में एक आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते समय पीड़िता की उम्र की पुष्टि के लिए तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट में खामियां मिलने पर न्यायमूर्ति अजय भनोट ने यह आदेश दिया। साथ आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली।
एटा के थाना कोतवाली देहात में याची धर्मेंद्र पर पॉक्सो और दुष्कर्म के मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था। वह 7 दिसंबर 2023 से जेल में है। उसने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। याची के वकील का कहना था कि पीड़िता की उम्र एफआईआर में 15 साल बताई गई है ताकि आवेदक को पॉक्सो के कड़े प्रावधानों के तहत झूठा फंसाया जा सके। पीड़िता के माता-पिता ने स्कूल रिकॉर्ड में बेटी की उम्र गलत तरीके से दर्ज कराई गई थी। स्कूल रिकॉर्ड में पीड़िता की उम्र संबंधी प्रविष्टि का कोई वैधानिक आधार नहीं है। उसकी उम्र 15 वर्ष बताने वाले स्कूल रिकॉर्ड अविश्वसनीय हैं। जबकि याची और पीड़िता के बीच संबंध सहमति से बने थे और उनकी शादी भी हुई थी।
अदालत ने याची की जमानत मंज़ूर करते हुए कहा कि पीड़िता की उम्र के बारे में भौतिक विरोधाभास थे जबकि आरोपी व्यक्ति ने दावा किया कि वह वयस्क थी। उसके स्कूल के रिकॉर्ड में वह 15 साल की थी और एक मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया था कि वह 13 साल की थी। कोर्ट ने याची की इस दलील को भी गंभीरता से लिया कि इस मामले में दायर मेडिकल रिपोर्ट यांत्रिक रूप से तैयार की गई थी और उसमें कोई कारण दर्ज़ नहीं था। कोर्ट ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट अमान्य है। वर्तमान मामले में आयु कॉलम केवल भरा गया है, और उम्र के संबंध में निष्कर्ष के कारण अनुपस्थित हैं।