उत्तर प्रदेश उपचुनाव में सपा ने कांग्रेस को एक भी सीट नहीं देगी। असल में हरियाणा में कांग्रेस ने जिस वजह से सख्त रख दिखाया उसी वजह को अब यूपी में आधार बनाया जा सकता है। अब हरियाणा और जम्मू कश्मीर का अखिलेश यादव बदला लेंगे?
उत्तर प्रदेश में भविष्य में अपने लिए बेहतर संभावनाओं की उम्मीद बांधे सपा अब कांग्रेस को लेकर सतर्क हो गई है। इंडिया गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस से वह तालमेल तो रखेगी लेकिन सीटों को लेकर अब उससे त्याग की उम्मीद करेगी। पार्टी ने तय कर लिया है कि विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में वह कांग्रेस को एक सीट से ज्यादा नहीं देगी। हरियाणा में कांग्रेस ने सहयोगी सपा को एक भी सीट नहीं दी। हालांकि अखिलेश ने गठबंधन की एका व भाजपा की शिकस्त के लिए त्याग करने की बात कही और अपनी हरियाणा यूनिट को चुनाव न लड़ने का निर्देश दिया। जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन ने सपा को एक भी सीट नहीं दी लेकिन यहां सपा ने तेवर दिखाते हुए 20 सीटों पर चुनाव लड़ा। असल में हरियाणा में कांग्रेस ने जिस वजह से सख्त रख दिखाया उसी वजह को अब यूपी में आधार बनाया जा सकता है। अब हरियाणा और जम्मू कश्मीर का अखिलेश यादव बदला लेंगे?
लंदन से लौट कर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उपचुनाव वाली सीटों पर संबंधित पदाधिकारियों से फीडबैक लिया और पूरी तरह बूथ मैनेजमेंट को दुरुस्त करने का निर्देश दिया। उपचुनाव में गठबंधन के तहत कांग्रेस गाजियाबाद, खैर, फूलपुर मीरापुर व मंझवा पांच सीट सपा से मांग रही थी। पहले सपा उसे दो तीन सीट देने को तैयार थी लेकिन अब उसका रुख कड़ा हो गया है। पार्टी अब इन सीटों पर भी सक्रिय हो गई है।
मंझवा सीट पर सपा के स्थानीय नेता वहां समूहों में प्रचार कर रहे हैं और साइकिल को जिताने की अपील कर रहे हैं। वोटरों से यह भी कहा जा रहा है कि सपा ही चुनाव लड़ेगी और प्रत्याशी के नाम का उपचुनाव की घोषणा होने पर सार्वजनिक किया जाएगा। गाजियाबाद में तो सपा प्रत्याशी के संभावित नामों पर विचार शुरू हो गया है। हालांकि उसे गठबंधन प्रत्याशी ही बताया जा रहा है।
सपा के सतर्कता की यह है वजह
असल में सपा के रणनीतिकारों को अहसास है कि कांग्रेस का यूपी विस्तार उसकी कीमत पर ही होना है। भाजपा के वोट में कांग्रेस नुकसान नहीं कर पाएगी। पर गठबंधन होने के नाते कांग्रेस सपा की छोड़ी सीटों पर चुनाव लड़कर अपना विस्तार आसानी से कर लेगी। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जीते सांसदों ने गठबंधन के तहत अपेक्षाकृत बड़े मार्जिन से अपनी सीट जीती जबकि सपा प्रत्याशियों ने इसके मुकाबले कुछ सीटों पर अपेक्षाकृत कम अंतर से सीटें जीतीं। इसका मतलब है कि गठबंधन के तहत यूपी में सपा का वोट बैंक पूरा कांग्रेस में ट्रांसफर हुआ। सपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं हम यह नहीं कहते हैं कि कांग्रेस ने सहयोग नहीं किया लेकिन उनकी स्थिति राज्य में वास्तव में बहुत कमजोर है और उनकी अब हो रही बढ़त गठबंधन की वजह से है।