अंतरराष्ट्रीय शतरंज खिलाड़ी संजना रघुनाथ को खेल कोटे के तहत पात्र होने के बावजूद एमबीबीएस सीट देने से मना करने पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह खिलाड़ी को 10 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान करे। खिलाड़ी के अधिवक्ता ने बताया कि बेंगलुरु की निवासी और 2018 एशिया यूथ शतरंज चैंपियनशिप में भाग लेने वाली संजना को नियमों का उल्लंघन करते हुए अधिक प्रतिष्ठित पी-एक या पी-3 के बजाय खेल कोटा के पी-पांच कैटेगरी में गलत तरीके से रखा गया।
मुख्य न्यायाधीश एन वी अंजारिया और न्यायमूर्ति के वी अरविंद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि इस गलत वर्गीकरण से खेल कोटा संबंधी नियमों का उल्लंघन हुआ।
संजना ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें एफआईडीई शतरंज चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना भी शामिल है। उन्होंने स्पोर्ट्स कोटा से सीट पाने से वंचित होने के बाद याचिका दायर की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक संजना ने वर्ष 2018 में शतरंज की कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था। उन्होंने 32वीं अडर-13 नेशनल चेस चैंपियनशिप, गर्ल्स चेस चैंपियनशिप 2018, 7वीं नेशनल स्कूल चेस चैंपियनशिप 2018, एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप 2018 और कॉमनवेल्थ चेस चैंपियनशिप 2018 में हिस्सा लिया था। उन्होंने ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के जरिए एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप 2018 में भारत का प्रतिनिधित्व किया और मेडल भी जीता। नीट में अच्छी रैंक लाने और स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी एमबीबीएस सीट पर एडमिशन पाने के लिए आवेदन के बावजूद उन्हें पीए-5 कैटेगरी में डाला गया जबकि उन्हें पी-1 या पी-3 कैटेगरी में डालना चाहिए था। ये वरीयता कैटेगरी होती है जो कि स्पोर्ट्स व टूर्नामेंट पर आधारित होती है। प्रोविजनल एलिजिबिलिटी टेस्ट में उनकी रैंक 9 थी।
विभिन्न अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के बावजूद वह स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी एमबीबीएस सीट पर एडमिशन पाने में असफल रही और थक हारकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के दौरान संजना को सप्तगिरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बेंगलुरु में प्राइवेट कोटे के तहत एमबीबीएस कोर्स में दाखिला मिल गया।
कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई खेल कोटे के पात्र उम्मीदवारों की लिस्ट पर विचार किया था और इस लिस्ट को तैयार करने में कोई भूमिका निभाए बिना इसी के मुताबिक सीटें आवंटित की थीं। सरकार ने दावा किया कि आमंत्रण पर किसी प्रतियोगिता में भाग लेने या पदक जीतने को राज्य या देश का प्रतिनिधित्व करने के रूप में नहीं माना जा सकता है। 1 जून, 2018 से पहले के खेल प्रमाणत्र 23 जून, 2023 के सर्कुलर की गाइडलाइंस पर खरे नहीं उतरते। सरकार ने तर्क दिया कि एमबीबीएस सीट की पात्रता सूची को संशोधित करने से वे पात्र उम्मीदवार प्रभावित होंगे जिन्होंने पहले ही एडमिशन ले लिया है।