सहारनपुर के सैनिक मलखान सिंह का 56 वर्ष बाद शव सामने आया है, लेकिन सहारनपुर का एक परिवार ऐसे है, जिसको 33 साल बाद अपने पति और पिता के वापस आने का बेसब्री से इंतजार है। जिले में रहने वाला यह परिवार आए दिन हैड क्वार्टर से इस संदर्भ में जानकारी भी लेता रहता है
सहारनपुर के सैनिक मलखान सिंह का 56 वर्ष बाद शव सामने आया है, लेकिन सहारनपुर का एक परिवार ऐसे है, जिसको 33 साल बाद अपने पति और पिता के वापस आने का बेसब्री से इंतजार है। जिले में रहने वाला यह परिवार आए दिन हैड क्वार्टर से इस संदर्भ में जानकारी भी लेता रहता है, लेकिन उन्हें अभी तक निराशा ही हाथ लगी है। गंगोह के निवासी चंद्रबोस सात नवंबर 1983 को आर्मी में तैनात हुए थे। तीन मई 1991 में वह आर्मी कैंप के साथ सिक्किम से पहाड़ियों की ओर से गए थे। उस समय पहाड़ी से बीच में कैंप लगाकर बटालियन रोकी गई थी। अचानक वहां पानी आ गया और 40 जवान बह गए थे।
कुछ जवानों के शव उस समय बरामद हो गए थे, जबकि अन्य का अभी तक कुछ अता-पता नहीं चल सका है। इसी में सहारनपुर के चंद्रबोस भी एक थे। उनका परिवार स्वयं वहां तक तलाशने गया। सेना की ओर से भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन आज तक उनका कुछ अता-पता नहीं चल सका। परिवार को इंतजार है कि चंद्रबोस जल्द घर लौटकर आएंगे।
सेना ने आठ साल बाद नियमानुसार मान लिया था मृत
भारतीय सेना ने आठ साल बीत जाने के बाद कुछ अता-पता न चल पाने के कारण नियमानुसार चंद्रबोस को मृत मान लिया था। परिवार में उनकी पत्नी को वेतन व पेंशन भी मिलने लगी थी। लेकिन परिवार को आज भी उनके लौटने का इंतजार है। यहीं वजह है कि परिवार ने आज तक उनकी मरणोपरांत होने वाली कोई रस्म तक पूरी नहीं की।
गायब होने वाले वक्त छह माह की थी बेटी
सैनिक के परिवार में उसकी पत्नी राजेश देवी और बेटी है। जिस समय सैनिक लापता हुए थे, उस समय उनकी बेटी की उम्र महज छह माह थी। लेकिन अब बेटी बड़ी हो गई है। परिवार में उनकी पत्नी और बेटी को उम्मीद है कि घर के मुखिया चंद्रबोस एक दिन जरूर लौटकर आएंगे।
चंद्रबोस को मिला था सैन्य सेवा मेडल
चंद्रबोस की बेटी बताती हैं कि सेना में रहते समय उनके पिता चंद्रबोस को कम उम्र में ही सैन्य सेवा मेडल से नवाजा गया था। उसका मानना है कि पिता गायब न होते तो उन्हें अब तक कई अवार्डसेनवाजाजाता।