आनंद बनकर लव जिहाद करने वाले मोहम्मद आलिम को आजीवन कारावास सुनाने के दौरान बरेली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने माना कि लव जिहाद के पीछे विदेशी फंडिंग है। उन्होंने इसे पाकिस्तान, बांग्लादेश की तरह भारत देश को अस्थिर करने की साजिश और देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा बताया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लव जिहाद को भी परिभाषित किया है।
फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में लिखा है कि लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य हिन्दुस्तान के खिलाफ एक धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्त्वों द्वारा जनसांख्यिकीय युद्ध और अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत वर्चस्व स्थापित करना है। आसान शब्दों में कहें तो लव जिहाद समुदाय विशेष के पुरुषों द्वारा गैर समुदायों से जुड़ी महिलाओं को उनके धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रेम का ढोंग करके शादी करना है। लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण, उस धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्व करते हैं, करवाते हैं, उसमें सहयोग करते हैं या फिर इस षड्यंत्र में शामिल होते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि यह कृत्य कुछ ही अराजक तत्व कराते हैं लेकिन पूरा धर्म विशेष बदनाम होता है। फैसले में उन्होंने इसके पीछे विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई है क्योंकि इस कृत्य के लिए बड़ी मात्रा में रकम की जरूरत होती है।
फैसले में लव जिहाद को किया परिभाषित कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह प्रकरण लव जिहाद के जरिये अवैध धर्मांतरण का है। ऐसे में सबसे पहले यह जानना भी जरूरी है कि लव जिहाद क्या है? लव जिहाद में समुदाय विशेष के पुरुष शादी के माध्यम से अपने धर्म में परिवर्तन कराने के लिए व्यवस्थित रूप से दूसरे समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाते हैं। समुदाय विशेष के ये लोग इन महिलाओं का धर्मांतरण कराने के लिए प्यार का दिखावा करके धोखे से शादी कर लेते हैं। इस केस में भी अभियुक्त मोहम्मद आलिम ने अपना नाम आनंद बताकर पीड़िता को धोखे में रखकर हिंदू रीति रिवाज से शादी कर उसके साथ बलात्कार किया। फिर उसकी फोटो व वीडियो बनाकर बदनाम करने की धमकी देकर कई बार बलात्कार किया।
विदेशी फंडिंग से हो रहा लव जिहाद, देश के लिए खतरा
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण होता है। अवैध धर्मांतरण रोकने को उप्र सरकार द्वारा उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 पारित किया गया। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण किसी अन्य बड़े उद्देश्य की पूर्ति को कराया जाता है। यदि समय रहते भारत सरकार के द्वारा लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण पर रोक नहीं लगाई गई तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम देश को भुगतने पड़ सकते हैं।
कोर्ट ने माना धर्मांतरण के लिए किया लव जिहाद
फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर ने इसे लव जिहाद का केस मानकर सात मार्च 2024 को आरोप तय कर सुनवाई शुरू की थी। आरोप साबित करने को एडीजीसी क्राइम दिगम्बर पटेल ने पीड़िता छात्रा समेत छह गवाह पेश किए थे। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलों को सुनकर धर्मांतरण के उद्देश्य से लव जिहाद करने के दोषी आलिम को आजीवन कैद की सजा सुनाई।
धर्मस्थल में की गई शादी अवैध करार
कोर्ट ने आलिम द्वारा पीड़िता से फतेहगंज पश्चिमी के धर्मस्थल में की गई शादी को भी अवैध करार दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिन्दू विवाह अधिनियम में दोनों का हिन्दू होना जरूरी है जबकि आलिम ने धर्म परिवर्तन नहीं किया है। सिर्फ लव जिहाद और धर्मांतरण के इरादे से उसने युवती को फंसाने के लिए मांग में सिंदूर भर दिया, जिसे शादी नहीं माना जा सकता।
प्रमुख सचिव व डीजीपी को भेजी आदेश की कॉपी
कंप्यूटर छात्रा से लव जिहाद के मामले में देवरनिया पुलिस ने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में कार्यवाही नहीं की। फास्ट ट्रैक प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने इस केस में फैसले की प्रति मुख्य सचिव, डीजीपी पुलिस और एसएसपी बरेली को भेजकर लव जिहाद के मामलों में इस अधिनियम के तहत कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। ताकि भविष्य में विधि अनुसार कार्रवाई हो।